
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इस FIR में एक पूर्व रजिस्ट्रार समेत 16 अफसरों, कर्मचारियों पर दर्ज है। इसके पीछे की वजह फर्जी डिग्रियां है। पूरा मामला विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों से जुड़ा हुआ है। दरअसल एसआईटी जांच में साल 2004 से 2014 के बीच की विश्वविद्यालय की 1130 डिग्रियां फर्जी पाई गई थी। जिसमें फर्जी डिग्रियों से सैकड़ों लोगों को सरकारी नौकरी भी मिल गई थी।
207 शिक्षकों के दस्तावेजों में मिली गड़बड़ी
इस बात का खुलासा तब हुआ जब डिग्रियों को सत्यापन के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय भेजा गया तो कर्मचारियों की मिलीभगत से उसे सही बताते हुए सत्यापित भी कर दिया गया। साल 2015 में इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई धी। राज्य के सभी जिलों में करीब छह हजार डिग्रियां की जांच एसआईटी ने कराई थी। साल 2015 में यह मामला सामने आया था जब पता चला था कि फर्जी डिग्री के सहारे बड़ी संख्या में लोगों को सरकारी टीचर की नौकरी मिली है। इस जांच में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से जारी करीब 1130 डिग्रियां फर्जी पाई गई और 207 शिक्षकों के दस्तावेजों में हेराफेरी मिली।
एसआईटी जांच के बाद शिक्षा विभाग ने की कार्रवाई
संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में एसआईटी ने अपनी जांच में डिग्री देने, सत्यापन की प्रक्रिया से जुड़े लोगों को दोषी माना और शासन से इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की इजाजत मांगी। शासन की इजाजत के बाद अब एसआईटी ने एफआईआर दर्ज कर ली है। फर्जी डिग्री से सरकारी शिक्षक बने कई आरोपियों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। उसके बाद शिक्षा विभाग को इसकी रिपोर्ट भी भेजी थी। एसटीएफ की रिपोर्ट के बाद शिक्षा विभाग ने भी सख्ती दिखाते हुए कई आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की थी। लेकिन सभी वो लोग बच निकले थे।
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