सार
यूपी के मुजफ्फरनगर में 21 साल पहले बोर्ड परीक्षा में नकल कराने तीन शिक्षिकों को भारी पड़ गया। 21 साल पहले दर्ज हुए मुकदमे में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। तीनों को दोषी करार देते हुए 1500-1500 रुपये अर्थदंड लगाया गया।
मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार में आने के बाद से किसी भी परीक्षा में नकल की संभावना तो पूरी तहर से खत्म हो चुकी है। शिक्षा में जोर देने वाली सरकार ने हर पाठ्यक्रम से इस तरह की हो रही क्रिया को बंद कर दिया है। लेकिन अभी भी कहीं न कहीं लोग नकल कराने में सफल हो रहे है। लेकिन रंगे हाथों पकड़े जाने पर सजा भी सुनाई जा सकती है। इसलिए ऐसे लोग बहुत ही संतर्क हो जाए। इसी मामले में शहर के तीन शिक्षिकों को नकल को 21 साल बाद कोर्ट ने सजा सुनाई है।
अर्थदंड अदा न करने पर होगा कारावास
मुजफ्फरनगर स्थित न्यायालय ने बोर्ड परीक्षा में नकल कराने के एक मामले में मंगलवार को फैसला सुना दिया है। 21 साल बाद नकल कराने वालीं तीन शिक्षिकाओं पर 1500-1500 रुपये अर्थदंड लगाया गया। इसके अलावा जुर्माना अदा ना करने पर इन शिक्षिकाओं को 7 दिन कारावास की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। दरअसलत 21 साल पहले यानी 9 अप्रैल 2001 को नई मंडी कोतवाली क्षेत्र स्थित वैदिक पुत्री पाठशाला इंटर कॉलेज में बोर्ड परीक्षा के दौरान बच्चों को गाईड से नकल करना उस समय चार शिक्षिकाओं को भारी पड़ गया था।
अदालत ने तीनों पर 1500 का लगाया अर्थदंड
बोर्ड परीक्षा के दौरान चारों शिक्षिकाएं नकल कराने में लगी थी तभी निदेशक सहारनपुर मंडल ने इन शिक्षिकाओं को नकल कराते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। जिसके चलते उस समय वैदिक पुत्री पाठशाला की प्रिंसिपल संतोष गोयल ने इन चारों शिक्षिका कामनी, रीता, अर्चना और उषा पर नई मंडी कोतवाली में मुक़दमा दर्ज कराया गया था। इस मामले में चारों शिक्षिकाओं को अपनी जमानत करानी पड़ी थी। कोर्ट ने इसी मामले में 21 साल बाद एसीजेएम-1 ने सजा सुनाते हुए शिक्षिका कामनी, रीता और अर्चना को 1500—1500 रुपये का अर्थदंड लगाया है तो वहीं जुर्माना समय पर अदा ना करने पर सभी को 7 दिनों के कारावास की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है।
एक शिक्षिका पर फैसला आनी बाकी
तीन शिक्षिकाओं पर फैसला कोर्ट ने दे दिया है लेकिन इनमें से एक अन्य शिक्षिका उषा गुप्ता की फाइल अभी कोर्ट में रखी है। जिसपर फैसला आना बाकी है। इस मामले पर मुजफ्फरनगर अभियोजन अधिकारी राम अवतार सिंह ने बताया कि थाना नई मंडी में 9 अप्रैल 2001 को एक मुकदमा पंजीकृत हुआ था, जो वैदिक पाठशाला इंटर कॉलेज नई मंडी के प्रिसिंपल संतोष गोयल ने कराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि परीक्षा के दौरान चारों शिक्षिकाएं बच्चों को नकल करा रही थी। इसी मामले में अदालत ने अभियुक्ताओं को 1500-1500 रुपए के अर्थदंड से दण्डित किया गया है।
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