ज्ञानवापी मामले में जज को धमकी देने वाले के खिलाफ दर्ज हुई FIR, जानिए किन गंभीर धाराओं में की गई कार्रवाई

ज्ञानवापी में सर्वे का आदेश देने वाले सिविल जज सीनियर डिवीजन को धमकी भरा पत्र मिला है। जज के अर्दली की तहरीर पर कैंट थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने इस मामले में धार्मिक उन्माद फैलाने का मुकदमा दर्ज किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 10, 2022 7:09 AM IST

वाराणसी: यूपी में स्थिति ज्ञानवापी में कमीशन की कार्रवाई का आदेश देने वाले सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर को जान से मारने की धमके भरे पत्र के मामले में कैंट पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। सिविल जज रवि कुमार की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज करते हुए रजिस्टर्ड डाक से आए चिट्ठी को लेकर पुलिस तफ्तीश में तेजी कर दी है। धमकी मिलने के बाद जज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आवास में दस पुलिसकर्मियों को लगाया गया है।

धार्मिक उन्माद फैलाने संबंधी लिखी थी बातें  
चिट्ठी भेजकर जज को ज्ञानवापी मामले को लेकर धमकी दी गई थी। इसकी जानकारी होने के बाद पुलिस कमिश्नरेट में हड़कंप मच गया था। लेकिन अभी तक धमकी देने वाले आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। सिविल जज रवि दिवाकर को दिल्ली से इस्लामिक आगाज मूवमेंट के अध्यक्ष काशिफ अहमद सिद्दकी के नाम से आया था। इतना ही नहीं पत्र में आपत्तिजनक बातों का भी वर्णन किया गया था। इसके अलावा सिविल जज सीनियर डिवीजन ने खोलकर देखा तो उसमें धार्मिक उन्माद फैलाने संबंधी बातें लिखी मिली। 

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सिविल जज को मिले पत्र में लिखी थी यह बात
धमकी भरे पत्र में जज रवि कुमार दिवाकर को संबोधित करते हुए धमकी भरी भाषा में बातें लिखीं गईं हैं। जज रवि कुमार दिवाकर ने इसकी शिकायत डीजीपी, अपर मुख्य सचिव गृह और पुलिस आयुक्त से भी की है। कैंट इंस्पेक्टर प्रभुकांत के अनुसार अर्दली की तहरीर के आधार पर अज्ञात के खिलाफ धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। बता दें कि उस पत्र में लिखा था कि अब न्यायाधीश भी भगवा रंग में सराबोर हो चुके हैं। फैसला उग्रवादी हिंदुओं और उनसे जुड़े संगठनों को प्रसन्न करने के लिए सुनाते हैं। आजकल न्यायिक अधिकारी हवा का रूख देखकर चालबाजी दिखा रहे हैं। आपने वक्तव्य दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का निरीक्षण एक सामान्य प्रक्रिया है। आप भी तो मूर्तिपूजक हैं। आप मस्जिद को मंदिर घोषित कर देंगे। कोई भी काफिर मूर्तिपूजक हिंदू न्यायाधीश से मुसलमान सही फैसले की उम्मीद नहीं कर सकता।

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