जानिए कौन थे राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी, लखनऊ के ट्रामा सेंटर में ली अंतिम सांस

झारखंड व असम के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने शनिवार को ट्रामा सेंटर में अंतिम सांस ली। रजी के परिजनों द्वारा उनके निधन की सूचना दी गई है। बीते दिनों से वह किंग जार्ज मेडिकल कालेज में अपने हृदय रोग का इलाज करा रहे थे।

लखनऊ: झारखंड व असम के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी का लखनऊ में निधन हो गया। किंग जार्ज मेडिकल कालेज में वह हृदय रोग का इलाज करा रहे थे। जहां पर ट्रामा सेंटर में शनिवार को उनका निधन हो गया। बीते दिनों झारखंड व असम के पूर्व राज्यपाल और कांग्रेस नेता सैयद सिब्ते रजी लखनऊ के मेडिकल कालेज में एडमिट करवाया गया था। परिजनों ने फोन पर उनके निधन की सूचना दी है। सिब्ते रज़ी को कांग्रेस पार्टी का सबसे विश्वसनीय नेता माना जाता था। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। 

रायबरेली में जन्मे थे सैयद सिब्ते रजी
सैयद सिब्ते रजी का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली में 7 मार्च 1939 को हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई रायबरेली से पूरी की। रायबरेली के हुसेनाबाद हायर सेकेण्डरी स्कूल से 10वीं पास करने के बाद उन्होंने शिया कालेज में एडमिशन लिया। जिसके बाद उन्होंने छात्र राजनीति में अपने कदम रखे। सैयद सिब्ते रजी ने पढ़ाई के साथ-साथ अपना खर्चा निकालने के लिए कई होटलों में अकाउमटेंट के तौर पर भी काम किया था। लखनऊ विश्वविद्यालय से उन्होंने बीकॉम किया था। इसके बाद वह पूरी तौर से राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हो गए।

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राजनीतिक अनुभव से बने राज्यपाल 
वर्ष 1969 में सैयद सिब्ते रजी उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस में शामिल हो गए और वर्ष 1971 में वह यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए। दो वर्षों तक यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद वह 1980 से 1985 तक राज्य सभा सदस्य रहे। इसी दौरान वह साल 1980 से 1984 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव भी रहे। कांग्रेस पार्टी द्वारा उनको दूसरी बार 1988 से 1992 तक और तीसरी बार 1992 से 1998 तक राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। सैयद सिब्ते रजी के राजनीतिक अनुभव को देखते हुए उन्हें राज्यपाल बनाया गया।

कांग्रेस पार्टी के सबसे विश्वसनीय नेता
मार्च 2005 में झारखंड के राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सरकार में एनडीए के सदस्यों की संख्या की अनदेखी की और झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को सरकार बनाने का न्योता दिया। इस बात की जानकारी जब तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को हुई तो उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप किया। जिसके बाद राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के निर्णय को बदला गया। राज्यपाल सैयद सिब्जे रजी ने इसके बाद एनडीए के अर्जुन मुंडा को 13 मार्च 2005 को सीएम पद की शपथ दिलाई। 

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