UP News: राजस्व परिषद की वेबसाइट पर अपलोड होगी तालाबों की गाटावार स्थिति, अवैध कब्जे से मिलेगी मुक्ति

यूपी में तालाबों पर अवैध कब्जा व अतिक्रमण रोकने के लिए अब तालाबों की गाटावार स्थिति का आकलन कर उसे राजस्व परिषद की वेबसाइट पर विकसित पोर्टल पर दर्ज किया जा रहा है। हाई कोर्ट के आदेश पर अब जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे फसली वर्ष  में अभिलेखों में दर्ज तालाबों, झीलों व अन्य जलाशयों की गाटा संख्या, उनका क्षेत्रफल और स्थिति के बारे में सूचना फीड कराई जाए। 

Pankaj Kumar | Published : Nov 27, 2021 5:48 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में योगी सरकार (Yogi government)  भू माफियाओं के खिलाफ लगातार कार्रवाई करती हुई नजर आ रही है। इसी के चलते अब उत्तर प्रदेश में तालाबों के अतिक्रमण पर शासन-प्रशासन के साथ कोर्ट की भी पैनी निगाह होगी, जिसके बाद अवैध कब्जे से बंधे तालाबों को मुक्त कराना और आसान हो जाएगा। उत्तर प्रदेश का राजस्व परिषद( revenue council) इस काम को आसान करने के लिए तालाबों का गाटावार विवरण पोर्टल पर ऑनलाइन जुटा रहा है।
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आपको बता दें कि प्रदेश सरकार की तैयारी के अनुसार अब तालाबों की गाटावार स्थिति का आकलन कर उसे राजस्व परिषद की वेबसाइट पर विकसित पोर्टल पर दर्ज किया जा रहा है। तालाबों के अतिक्रमण की समस्त सूचना इस पोर्टल पर दर्ज होने के बाद इसे एंटी भू-माफिया पोर्टल से जोड़ा जाएगा ताकि अवैध कब्जे के खिलाफ जिला स्तरीय टास्क फोर्स की ओर से की गई कार्रवाई की निगरानी की जा सके।

तालाबों पर अतिक्रमण के बारे में जिलाधिकारियों की ओर से अभी तक वर्ष 1952 के अभिलेखों में दर्ज तालाबों और वर्तमान में अतिक्रमित जलाशयों की संख्या भेजी जाती थी। इससे तालाबों पर अतिक्रमण की वास्तविक स्थिति पता नहीं चल पाती थी। हाई कोर्ट के आदेश पर अब जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे फसली वर्ष 1359 (वर्ष 1952) में अभिलेखों में दर्ज तालाबों, झीलों व अन्य जलाशयों की गाटा संख्या, उनका क्षेत्रफल और स्थिति के बारे में सूचना फीड कराई जाए। 


इसके अलावा वर्तमान में अतिक्रमण का शिकार हुए तालाबों की गाटा संख्या और उनके क्षेत्रफल का विवरण भी दर्ज किया जा रहा है। ऐसे तालाबों का कितना हिस्सा अतिक्रमित है और कितना कब्जे से मुक्त कराया गया है, इसकी जानकारी भी जुटाई जा रही है। सभी तालाबों के फोटो भी पोर्टल पर अपलोड किए जा रहे हैं। इससे यह पता चल सकेगा कि कितने तालाबों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। यह भी मालूम हो सकेगा कि जो तालाब अवैध कब्जे का शिकार हैं, उनका कितना हिस्सा अतिक्रमित हैं और कितना खाली।

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