
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में काफी लंबे समय से खाली पड़े सरकारी पदों को भरने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने दूसरे कार्यकाल में भर्तियों का पिटारा खोलने के साथ लंबित प्रोन्नित की प्रक्रिया को भी गति दे दी है। सीएम योगी के निर्देश पर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने सभी विभागों में 30 सितंबर तक प्रोन्नित के लिए पात्र अधिकारियों तथा कर्मियों की चयन प्रक्रिया पूरी करने को कहा है।
राज्य में सरकारी सेवाओं में जो पद पदोन्नति से भरे जाने हैं। उनमें अफसरों की लेटलतीफी नहीं चलेगी। दुर्गा शंकर मिश्र ने चयन वर्ष 2022-23 के लिए समय सीमा तय कर दिया है। पदोन्नति के लिए कार्मिकों के चयन की प्रक्रिया 30 सितंबर तक पूरी कर ली जाएगी। अगर इसमें थोड़ा भी विलंब होता है तो जिम्मेदार अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना होगा।
चयन साल जुलाई से जून तक चलेगा
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि महत्वपूर्ण शासनादेश जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि साल 2022-23 के लिए चयन साल एक जुलाई से शुरू हो जाएगा। जो 30 जून 2023 तक चलेगा। पूरे साल चयन की बैठके होती रहती है। उन्होंने निर्देश दिया है कि जो भी पद पदोन्नति से भरे जाने हैं, उनकी गिनती कर ली जाए।
देरी से प्रस्ताव भेजने पर स्पष्टीकरण होगा देना
दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि विभागाध्यक्ष से ठीक एक पंक्ति के नीचे के जिन पदों पर चयन समिति बनाकर कार्मिक विभाग के माध्यम से पदोन्नति दी जानी है, उनका प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप पर 31 जुलाई, 2022 तक अवश्य उपलब्ध करा दिया जाए। उन्होंने कहा कि देरी से प्रस्ताव भेजने पर अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव में से जो भी जिम्मेदार होगा, उसे स्पष्टीकरण देना होगा।
इसी तरह जिन पदों पर अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव की अध्यक्षता वाली चयन समिति को चयन करना है। उनकी प्रक्रिया 30 सितंबर, 2022 तक पूरी कर ली जाए। दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि विभागाध्यक्ष या अधीनस्थ नियुक्ति प्राधिकारियों स्तर से जिन पदों को पदोन्नति से भरा जाना है, उनके लिए भी चयन की प्रक्रिया 30 सितंबर, 2022 तक पूरी करनी है।
2017 से नहीं भरे गए अनुभाग अधिकारियों के रिक्त पद
उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ ने मुख्य सचिव दुर्गा शंकर ने पत्र लिखकर कहा है कि समीक्षा अधिकारियों की पदोन्नति से भरे जाने वाले अनुभाग अधिकारियों के 250 पद रिक्त हैं। इन पर चयन वर्ष 2017-18 से चयन प्रक्रिया ठप है। तो वहीं सचिव ओंकार नाथ तिवारी ने कहा कि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है। साल 2017 से पदोन्नति के पात्र समीक्षा अधिकारी बिना पदोन्नति पाए सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं।
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