श्रीरामलला को भक्तों द्वारा दिए गए सोने और चांदी के उपहार की गुणवत्ता को परखेगी भारत सरकार की संस्था मिंट

अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण जारी है। इस बीच निर्माण इकाई की दो दिवसीय बैठक का आयोजन हुआ जहां एडवांस प्लानिंग की चर्चा हुई। इस दौरान एक काम को पूरा कर तुरंत दूसरा काम शुरू करने की बात कही गई। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 21, 2022 2:03 PM IST

अनुराग शुक्ला
अयोध्या:
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निर्माण इकाई की दो दिवसीय बैठक में एडवांस प्लानिंग की चर्चा हुई। यानी एक काम पूरा होने के बाद दूसरा तुरंत शुरू हो जाए, इसलिए कई विभिन्न कामों के जानकारों को बैठक में पहली बार शामिल किया गया। बैठक की जानकारी देते हुए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया मंदिर निर्माण शुरू होते ही राम भक्तों ने काफी मात्रा में सोना और चांदी रामलला को उपहार के तौर पर भेंट किया है जो बैंक के लॉकर में सुरक्षित है। लेकिन इन्हें कब तक सुरक्षा दी जा सकेगी इस बात पर चर्चा हुई। इसलिए ट्रस्ट के लोगों ने भारत सरकार की संस्था मिंट को आमंत्रित किया। जिसके अधिकारी बैठक में शामिल हुए। उन्होंने अपने प्रपोजल को विस्तार से ट्रस्ट के सामने रखा। महासचिव ने बताया यह संस्था सोने चांदी के सिक्के और मेडल बनाती है। साथ ही इनका धातुओं को गलाने का सिस्टम भी है। अब आने वाले समय मे ट्रस्ट के एक्सपर्टों के साथ संस्था के एक्सपर्ट रामजन्मभूमि परिसर आकर धातुओं की वैल्यूएशन और वेइंग तय करेंगे। बैठक की अध्यक्षता नृपेंद्र मिश्र ने की।

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 गर्भगृह के बाहरी हिस्से में लगेगी फसाड लाइट, राष्ट्रपति भवन की तरह चमकाने की तैयारी
 महासचिव ने बताया मंदिर के अंदर और बाहरी हिस्से में लाइटिंग कैसी रहेगी इसके एक्सपर्ट बुलाए गए थे। मंदिर के बाहरी हिस्से को फसाड लाइट से चमकाने की योजना है। बिल्कुल उसी तरह जैसे कुछ विशेष दिनों में राष्ट्रपति भवन या पार्लियामेंट हाउस दिखता है। उन्होंने बताया ट्रस्ट तय कर रहा है कि यह वेवस्था 365 दिन रहेगी या केवल त्योहारों के दिन की जाए।

1 किलोमीटर का होगा रामलला का परिक्रमा क्षेत्र श्रद्धालुओं का पैर न जले इसकी बनाई गई योजना
रामलला के फर्श का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है अब गर्भगृह के निर्माण का कार्य तेज कर दिया गया है। पत्थरों की नक्कासी के लिए ज्यादा संख्या में कारीगर पहुच गए हैं। महासचिव ने बताया मंदिर का 40% काम पूरा हो गया है। मंदिर का परिक्रमा पथ लगभग 1 किलोमीटर का होगा। इस दौरान गर्मी में श्रद्धालुओं का पैर न जले इसके लिए एक्सपर्ट से चर्चा की गई है। उन्होंने बताया ट्रस्ट ऐसे पत्थर परिक्रमा मार्ग में लगाने की सोच रहा है जिससे पैर न जले।

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