
प्रयागराज (Uttar Pradesh)। सीएए लागू होने के बाद यूपी के कई शहरों में हुई हिंसा को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे को देखने के बाद हाईकोर्ट पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हुई। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कई बिंदुओं पर राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
सरकार के दावे पर कोर्ट ने उठाया सवाल
याचिकाओं में मीडिया रिपोर्ट के हवाले से पुलिस की बर्बरता का आरोप लगाया गया है। इस पर राज्य सरकार की ओर से सभी मीडिया रिपोर्ट को नकारते हुए झूठा बताया गया है। जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि आखिर कोर्ट यह कैसे मान सकती है कि सभी मीडिया रिपोर्ट झूठी हैं और सरकार ही सच बोल रही है।
सरकार से पूछा कितनी दर्ज हुई एफआईआर
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को लेकर कितनी शिकायतें प्रदर्शनकारियों की ओर से अब तक की गई हैं। कितनी शिकायतों पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए की गई कार्रवाई में कितने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की गई है।
हिंसा में मरने वालों की पीएम रिपोर्ट भी तलब
अदालत ने हिंसा में मारे गए 23 प्रदर्शनकारियों की मौत के मामले में दर्ज एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी तलब कर ली है। कोर्ट ने राज्य सरकार से घायलों की मेडिकल रिपोर्ट भी मांगी है। साथ ही कोर्ट ने हिंसा में घायल पुलिसवालों का भी ब्यौरा मांगा है.
14 अर्जियों पर अब 17 फरवरी को होगी सुनवाई
हाईकोर्ट, मुंबई के वकील अजय कुमार और पीएफआई संगठन की ओर से दाखिल की गई याचिका समेत कुल 14 अर्जियों पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए सीएए के विरोध को लेकर हुई हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की गई है। बता दें कि मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई।अब इन सभी अर्जियों पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।
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