राम-भरत के प्रेम की निशानी है ये स्थान, यहां हो रहा 14 साल तक लगातार चलने वाला संकीर्तन

राम जन्मभूमि से तकरीबन 14 किमी दूर स्थित है नंदीग्राम। इसी नंदीग्राम में ऐतिहासिक भरत कुंड है। इस स्थान पर राम के वन जाने के बाद उनके छोटे भाई भरत ने 14 वर्षों तक तप किया था

Asianet News Hindi | Published : Nov 26, 2019 8:43 AM IST / Updated: Nov 26 2019, 03:56 PM IST

अयोध्या(Uttar Pradesh ). अयोध्या राम जन्मभूमि व उस पर सालों से चले आए विवाद के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हो गया। अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद का अब सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद अंत हो गया लेकिन इस विवाद में अयोध्या के वो स्थान जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम व उनके परिवार से करीब से जुड़े रहे वो अछूते रह गए। उन्हें विकसित करने के लिए भी कोई ख़ास कदम नहीं उठाए गए। ऐसा ही एक स्थान है राम जन्मभूमि से तकरीबन 14 किमी दूर स्थित है नंदीग्राम।इसी नंदीग्राम में ऐतिहासिक भरत कुंड है। इस स्थान पर राम के वन जाने के बाद उनके छोटे भाई भरत ने 14 वर्षों तक तप किया था। 

भरत कुंड अयोध्या-प्रयागराज हाईवे पर अयोध्या से लगभग 14 किमी की दूरी पर स्थित है। रामायण के दृष्टिकोण से इस  स्थान का बड़ा महत्व है। लेकिन मंदिर-मस्जिद विवाद के कारण इस पर शासन-प्रशासन का ध्यान नहीं गया। नतीजन ये स्थान आज विकास और श्रद्धालुओं की आवजाही के लिहाज से काफी पीछे रह गया। 

बहुत कम संख्या में आते हैं यहां श्रद्धालु 
भरत कुंड मंदिर में रहने वाले महंत रघुबर दास के मुताबिक़ यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही कम होती है। केवल स्थानीय श्रद्धालु ही यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। अयोध्या देखने की लालसा लिए बाहर से आए लोगों का आवागमन यहां न के बराबर होता है। इस पौराणिक स्थान के बारे में सही ढंग से प्रचार-प्रसार नहीं किया गया और न ही इसका समुचित विकास किया गया। 

ये है नंदीग्राम भरतकुंड का इतिहास 
महंत रघुबर दास ने बताया नंदीग्राम भरत कुंड का रामायण में काफी अहम स्थान है। वाल्मीकि रामायण में भी इस जगह का जिक्र है। यहां के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान राम के भाई भरत ने राम के वनवास से लौटने के लिए तपस्या की थी। इसके बारे में कहा गया है कि जब श्री राम वनवास गए तो जानकारी होने के बाद भरत उन्हें वापस लाने के लिए उनके पीछे गए। राम से मुलाकात करके भरत ने उनसे वापस लौटने का आग्रह किया। जब राम ने अपना वचन भरत को बताया तो भरत उनकी खड़ाऊँ मांग कर वापस आ गए। जिसके बाद भरत ने अयोध्या के सिंहासन पर खड़ाऊँ रखकर वहां से नंदीग्राम आ गए। यहीं से उन्होंने राजकाज चलाते हुए वहां 14 वर्षों तक तप किया। वनवास पूरा कर जब राम वापस अयोध्या आए तो सबसे पहले नंदीग्राम में जाकर उन्होंने भरत से मुलाकात की फिर सारे लोग एक साथ अयोध्या आए। 

पिता के पिंडदान के लिए बनवाया था कुंड 
महंत रघुबर दास ने बताया कि भरत जब नंदीग्राम में तपस्या करने आ गए थे उसी के बाद उनके पिता राजा दशरथ की मृत्यु हो गई। जिसके बाद पिता के पिंडदान की बात आई तो भरत ने नंदीग्राम में ही एक कुंड की स्थापना करवाई। इसी कुंड को आज भरत कुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड के बाहर ही भगवान शिव का प्राचीन मंदिर बना है। 

24 घंटे 14 साल तक चलने वाला सीताराम का कीर्तन जारी
भरतकुंड नंदीग्राम में श्री रामजानकी मंदिर में 24 अक्टूबर 2018 से श्री सीताराम नाम कीर्तन चल रहा है जो 24 घंटे लगातार जारी रहता है। इस सकीतर्न को कराने वाले महंत अवधेशानंद जी महारज बताते  विश्व कल्याण और श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए इस कीर्तन को लगातार 14 सालों तक जारी रखने का संकल्प लिया गया था। अभी केवल डेढ़ साल हुए हैं और मंदिर बनने का निर्णय आ गया। लेकिन अब 2032 तक ये कीरत यूं ही जारी रहेगा। 

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