राम मंदिर के लिए तराशे जा चुके हैं 1 लाख घनफिट पत्थर, चंदे के 3.5 करोड़ रुपये से अब तक हो रहा था काम

अयोध्या में राम मंदिर के लिए विहिप द्वारा सालों से चल रहे पत्थर तराशने का काम पिछले 4 महीने से फिलहाल बंद है। करीब 45 फीसदी काम पूरा हो चुका है। यह काम विहिप की कार्यशाला में चल रहा था, जहां पत्थर तराश कर रखे गए हैं। hindi.asianetnews.com ने विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा से बात की।

Ujjwal Singh | Published : Nov 26, 2019 7:56 AM IST / Updated: Nov 26 2019, 01:31 PM IST

अयोध्या (Uttar Pradesh). अयोध्या में राम मंदिर के लिए विहिप द्वारा सालों से चल रहे पत्थर तराशने का काम पिछले 4 महीने से फिलहाल बंद है। करीब 45 फीसदी काम पूरा हो चुका है। यह काम विहिप की कार्यशाला में चल रहा था, जहां पत्थर तराश कर रखे गए हैं। hindi.asianetnews.com ने विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा से बात की।

राम मंदिर निर्माण के आंदोलन की शुरुआत प्रमुख संत और धर्माचार्यों ने की थी। 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने इस आंदोलन को अपने हाथ में लिया।  इसके बाद से लगातार विहिप इस मामले में सक्रिय है। इसके बाद से पत्थरों की नक्काशी व अन्य कार्य श्रीराम जन्मभूमि न्यास द्वारा किया जा रहा है।

चंदे से इकट्ठा हुए थे साढ़े तीन करोड़
विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा के मुताबिक साल 1989 में विश्व हिन्दू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए शिला पूजन करवाया। देश व विदेश के 2 लाख 75 हजार स्थानों पर ये शिला पूजन करवाया गया। उस समय प्रति व्यक्ति से एक शिला व सवा रूपए लिए गए। इसी सवा रूपये के चंदे से विहिप के पास तकरीबन साढ़े तीन करोड़ रूपए इकट्ठा हो गए। इस पैसे के मूलधन व ब्याज से आज तक पत्थर तराशी का काम चल रहा था।  पिछले 4 महीने से पत्थर तराशने का काम बंद है।

लगभग 35 करोड़ रूपए हो चुके हैं खर्च
शरद शर्मा के मुताबिक खर्च का लेखाजोखा ऑडिट विभाग रखता है। लेकिन एक अनुमान के अनुसार पत्थर तराशी के काम में अब तक लगभग 35 करोड़ के आसपास खर्च हो चुके हैं। इस दौरान मंदिर निर्माण के 40 से 45 फीसदी काम पूरा हो चुका है। नक़्शे के मुताबिक़ लगभग 1 लाख 77 हजार घनफिट पत्थरों की तराशी होनी है जिसमे से 1 लाख घनफिट पत्थर तराशे जा चुके हैं। ग्राउंड फ्लोर के निर्माण का कार्य हो चुका है।

राजस्थान के भरतपुर से आता है पत्थर
उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए तराशे जा रहे पत्थर राजस्थान के भरतपुर से आते हैं। भरतपुर के पास स्थित बंसी पहाड़पुर से निकलने वाला पिंक सैंडस्टोन पत्थर राम मंदिर निर्माण में लगाया जाएगा। पिंक सैंडस्टोन बेहद मजबूत व चमकदार पत्थर होता है। इसी से राम मंदिर का निर्माण होना है।

ये है विहिप द्वारा प्रस्तावित मंदिर का प्रारूप
विहिप ने जिस राम मंदिर की रूपरेखा तैयार की है उसकी 265 फिट लंबाई है। इसकी चौड़ाई 140 फिट तथा उंचाई 128 फीट है। श्रीराम का मंदिर दो मंजिला बनाया जाना है। इसमें भूतल में राम लला विराजमान रहेंगे। प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। सिंह द्वार, रंगमंडप, नृत्य मंडप, परिक्रमा और गर्भगृह मंदिर के प्रमुख भाग हैं जिसके लिए पत्थर तराशी का काम पूरा हो चुका है। प्रत्येक मंजिल पर 106 खंबे होंगे,ये भी बन गए हैं। इन पर 16 मूर्तियों का निर्माण होना है जो मंदिर निर्माण के दौरान ही होगा। मंदिर वास्तु शास्त्र के हिसाब से नागर शैली में डिज़ाइन किया गया है। मंदिर का गर्भगृह अष्टकोण में है।

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