यूपी विधानसभा चुनाव अपने सातवें और अंतिम चरण में है। इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म के द्वारा सातवें चरण में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के शपथपत्रों का विश्लेषण करने पर पाया गया कि 28 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं, वहीं 131 गंभीर आपराधिक मामलों में लिप्त पाए गए हैं।
दिव्या गौरव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Vidhansabha Chunav) के सातवें और अंतिम चरण में 28 फीसदी उम्मीदवार किसी न किसी आपराधिक वारदात में लिप्त हैं। इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म ने सातवें चरण में चुनाव लड़ने वाले 613 में से 607 उम्मीदवारों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया है जो 54 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे है। इनमे से 170 यानी 28 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं, वहीं 131 गंभीर आपराधिक मामलों में लिप्त पाए गए हैं।
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों में से सबसे अधिक समाजवादी पार्टी (सपा) के है जबकि दूसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तीसरे पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी हैं। सपा के 45 में से 26, बीजेपी के 47 में से 26 , बसपा के 52 में से 20 और काग्रेस के 54 में से 20 उम्मीदवार दागी हैं। सातवें चरण में उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक मामलों में पहले स्थान पर प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से विजय मिश्रा हैं जो भदोही के ज्ञानपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं। मिश्रा के ऊपर 24 मामले दर्ज हैं , दूसरे स्थान पर गाजीपुर विधान सभा सीट से बसपा के राज कुमार सिंह गौतम हैं जिनके ऊपर 11 मामले और तीसरे स्थान पर कांग्रेस के वाराणसी में पिंडर विधानसभा क्षेत्र से अजय है जिनके ऊपर 17 मामले दर्ज है।
36 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति
सातवें चरण में 54 में से 35 यानी 65 फीसद संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां तीन या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इस चरण में 36 फीसदी उम्मीदवारों के पास एक करोड़ अथवा उससे ज्यादा की संपत्ति हैं। बीजपी के 85 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं जबकि सपा के 82, बसपा के 79 और कांग्रेस के 41 फीसदी उम्मीदवारों के पास अकूत संपत्ति है। सातवें चरण में 37 फीसदी उम्मीदवारों की उम्र 25 से 40 वर्ष के बीच हैं, जबकि इस चरण के चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में से 12 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं की है।