मौत के मुंह में रह रहे अयोध्या के 14 हजार साधु-संत, कहा- ऐसे तो खत्म हो जाएंगी प्राचीनतम धरोहरें

अयोध्या के 150 से अधिक जर्जर मंदिरों व भवनों के में रहने वाले साधु-संतों व श्रद्धालुओं पर हर पल मौत मंडरा रही है। कई सालों से हर साल नगर निगम इन मंदिरों व भवनों में जर्जर होने व इसे खाली करने का नोटिस लगाता आ रहा है। लेकिन इसको संरक्षित करने की दिशा में कभी कोई कदम नहीं उठाया गया

Asianet News Hindi | Published : Nov 27, 2019 4:46 AM IST / Updated: Nov 27 2019, 10:59 AM IST

अयोध्या(Uttar Pradesh ). अयोध्या के 150 से अधिक जर्जर मंदिरों व भवनों के में रहने वाले साधु-संतों व श्रद्धालुओं पर हर पल मौत मंडरा रही है। कई सालों से हर साल नगर निगम इन मंदिरों व भवनों में जर्जर होने व इसे खाली करने का नोटिस लगाता आ रहा है। लेकिन इसको संरक्षित करने की दिशा में कभी कोई कदम नहीं उठाया गया। इस बात को लेकर अयोध्या के साधु-संतों में खासी नाराजगी है। इसके लिए साल भर पूर्व सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मदद मांगी जा चुकी है। 

धार्मिक नगरी अयोध्या में कुल तकरीबन 19 सौ मंदिर हैं। जिसमे से 101 मंदिर रजिस्टर्ड है। कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले अयोध्या का हर घर एक मंदिर ही था। लेकिन धीरे-धीरे वह इमारतें पुराणी होकर गिरती गईं और उसकी जगह नई इमारतों,घरों व दुकानों ने ले लिया। आज भी प्राचीन समय की 150 से अधिक मंदिरें जर्जर अवस्था में हैं। प्रशासन द्वारा इन मंदिरों के जीर्णोद्धार पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 

ऐसे तो खत्म हो जाएगी अयोध्या की पौराणिक विरासतें 
अयोध्या में रहने वाले संत मिथिला बिहारी दास के मुताबिक पूरी अयोध्या में सैकड़ों ऐसी मंदिरें हैं जो 500 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। इनकी बनावट व पत्थरों की नक्काशी भी खजुराहो मंदिर व अन्य प्रदेशों में बनी प्राचीनतम मंदिरों से हूबहू मिलती हैं। लेकिन इनकी अवस्था बेहद दयनीय है। प्रशासनिक उपेक्षा की शिकार ये मंदिर जीर्ण होकर गिर रहे हैं। इनके संरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो अयोध्या भी अपनी प्राचीन पौराणिक विरासत धीरे-धीरे खो देगा। इन मंदिरों के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। 

प्राचीनता देखने ही बाहर से आते हैं लोग 
महंत रघुबरदास के मुताबिक बाहर से आने वाले श्रद्धालु या विदेशी पर्यटक यहां रामलला के दर्शन के आलावा यहां की पौराणिकता देखने आते हैं। उनके मन में अयोध्या को लेकर ये छवि रहती है कि अयोध्या में उन्हें सैकड़ों साल पहले बने मंदिर व  भवन देखने को मिलेंगे। लेकिन आज ये प्राचीन भवन व मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं। इनके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रभावी कदम उठाना  चाहिए। 

साल भर पहले 176 मंदिरों की दी गई थी खाली करने की नोटिस 
नगर निगम अयोध्या भी इन प्राचीन मंदिरों व भवनों को नोटिस देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। बीते वर्ष भी नगर निगम ने अयोध्या के 176 प्राचीनतम भवनों व मंदिरों को खाली करने की नोटिस दी थी। नोटिस में ये स्पष्ट कहा गया था कि ये भवन जर्जर हैं इसमें किसी का आना-जाना या रहना खतरनाक है। इसलिए इसे तत्काल खाली कर दिया जाए व यहां पर किसी की आवाजाही पूर्णतया प्रतिबंधित है। लेकिन आस्था व प्राचीनतम भवनों को देखने की लालसा लिए श्रद्धालुओं को यहां आना जारी रहता है। 

ये मंदिर हैं सबसे अधिक जर्जर 
सबसे अधिक जर्जर मंदिर व भवन स्वर्गद्वार मुहल्ले में हैं। इसके अलावा राम की पैड़ी, नयाघाट, देवकाली, तुलसीबाड़ी, कजियाना व अन्य मुहल्ले में भी कई ऐतिहासिक मंदिर जर्जर अवस्था में हैं। नयाघाट पर शुक्ला मंदिर, तुलसीनगर मुहल्ले में भीखू शाह मंदिर, लक्ष्मणघाट में फखरपुर मंदिर व अन्य कई मंदिर बेहद जर्जर हैं। मेलों के दौरान इन मंदिरों में श्रद्धालु भी ठहरते हैं। इससे यहां किसी भी अनहोनी का खतरा हमेशा बना रहता है। 

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