एयर डिफेंस सिस्टम को और मजबूत करेगा भारत, यह देश करेगा मदद, बनाएगा ये हथियार

साउथ कोरिया ने भारत के साथ ग्लोबल डिफेंस सोल्यूशन लीडर बनने की रुचि दिखाई है। इसके तहत वह भारत के साथ डिफेंस इलेक्ट्रानिक, एम्युनेशन व पीजीएम, लैंड सिस्टम, एयरो स्पेस के क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ाना चाहता है। 

Ankur Shukla | Published : Feb 6, 2020 12:53 PM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh) । भारत साउथ कोरिया की मदद से अब एयर डिफेंस सिस्टम को और मजबूत करेगा। साउथ कोरिया की कंपनी हनवहा टेक विन की हाइबिड-बिहो सेल्फ प्रोपेल्ड एयर डिफेंस गन व मिसाइल सिस्टम भी देश में तैयार करेगा। बता दें कि पहली मेक इन इंडिया सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टीलरी गन के9-वज्र बनाने के बाद साउथ कोरिया भारत में बड़ी संभावनाएं तलाश रहा है। के9-वज्र के बाद कोरिया की नजर भारतीय सेना के लिए एयर डिफेंस व आर्म्ड व्हील्ड व्हीकल पर है। इसके साथ ही डिफेंस एक्सपो की थीम 'डिजिटल ट्रांसफारमेशन ऑफ डिफेंस' को देखते हुए कई इलेक्ट्रानिक और डिजिटल उपकरण भारत को सौंपने की तैयारी की है।

इसमें अपनी भागीदारी बढ़ाना चाहता साउथ कोरिया
साउथ कोरिया ने भारत के साथ ग्लोबल डिफेंस सोल्यूशन लीडर बनने की रुचि दिखाई है। इसके तहत वह भारत के साथ डिफेंस इलेक्ट्रानिक, एम्युनेशन व पीजीएम, लैंड सिस्टम, एयरो स्पेस के क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ाना चाहता है। 

टाइगॉन आर्म्ड व्हील व्हीकल को भारत में बनाने की तैयारी
साउथ कोरिया आठ गुणे आठ श्रेणी का टाइगॉन आर्म्ड व्हील व्हीकल को भारत में बनाने की तैयारी कर रहा है। अभी उसके पास 6 गुणे 6 श्रेणी वाला व्हीकल है, जो 11 जवानों के साथ सड़क पर 100 और पानी में आठ किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ सकता है। आठ गुणे आठ श्रेणी में व्हीकल में आठ टायर होंगे, जो 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति के साथ 16 जवानों को ले जा सकेगा। आस्ट्रेलिया इस समय कोरिया की रेड बैक इंफेंट्री फायरिंग व्हीकल इस्तेमाल कर रहा है। 

ये भी होंगे कोरिया के खास हथियार 
हाइबिड बिहो एक सेल्फ प्रोपेल्ड एयर डिफेंस गन व मिसाइल सिस्टम है। इसमें मिसाइल के साथ 30 एमएम कैलिबर की गन है, जो आसमान में उड़ रहे दुश्मनों के एयरक्राफ्ट व ड्रोन तक को मार गिराती है। इसमें टीपीएस-830 के रडार व फायर कंट्रोल रडार है। इसमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल टारगेटिंग सिस्टम, आगे देखने वाले इंफ्रारेड सिस्टम, लेजर से रेंज तय करने की सुविधा के साथ थर्मल, टीवी कैमरा व डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम लगे हैं। 

इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम से की जा सकती है कड़ी निगरानी
ईओटीएस यह इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम है। रात व दिन में दूर तक टारगेट ईओटीएस से देखा जा सकता है। इसमें एक लेजर रेंज लगी है। इससे किसी संदिग्ध की दूरी का पता लगाया जा सकेगा। यह 360 डिग्री कोण में चारों तरफ घूम सकता है। यह ड्रोन को पांच, हेलीकॉप्टर को 15 और लड़ाकू विमान को 20 किलोमीटर तक देख सकता है।

Share this article
click me!