Inside Story: आजादी के बाद से अभी तक इस सीट पर नहीं खुला बसपा का खाता, क्या 2022 यूपी चुनाव में होगा बदलाव

साल 1957 में फेफना विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने अपना खाता खोला और मांधाता इस विधानसभा के विधायक घोषित हुए। इस विधानसभा सीट पर गौरी शंकर भैया लगातार चार साल 1977, 1980 ,1985 ,1989 विधायक रहें। 1993 से 2012 तक समाजवादी पार्टी की तरफ से उस दौरान पार्टी के कद्दावर नेता अंबिका चौधरी इस सीट पर विधायक रहे।

रवि प्रकाश सिंह

बलिया: आजमगढ़ मंडल के बलिया जिले की फेफना विधानसभा की सीट पर आजादी के बाद से अब तक बहुजन समाज पार्टी (BSP) के किसी भी प्रत्याशी ने अपनी जीत नहीं दर्ज की है। 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में यह सवाल जरूर उठता है कि क्या इस बार भी बहुजन समाज पार्टी के हाथों इस विधानसभा में निराशा ही लगेगी या फिर उम्मीद की कोई नई किरण इस बार पार्टी को दिखाई दे रही है। बलिया जिले में कुल 7 विधानसभा सीटें जिनमें से फेफना विधानसभा एक है। फेफना विधानसभा को पहले कोपाचिट विधानसभा के नाम से जाना जाता था। 

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चार वर्षों में लगातार रहे विधायक
साल 1957 में इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने अपना खाता खोला और मांधाता फेफना विधानसभा के विधायक घोषित हुए। इस विधानसभा सीट पर गौरी शंकर भैया लगातार चार साल 1977, 1980 ,1985 ,1989 विधायक रहें। 1993 से 2012 तक समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की तरफ से उस दौरान पार्टी के कद्दावर नेता अंबिका चौधरी इस सीट पर विधायक रहे। 2012 के विधानसभा चुनाव में उपेंद्र तिवारी ने इस सीट से अपनी जीत दर्ज की। 2017 के विधानसभा चुनाव में उपेंद्र तिवारी ने दूसरी बार इस सीट पर अपना झंडा लहराया और भाजपा (BJP) की प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए। 2022 का विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है, ऐसे में उपेंद्र तिवारी तीसरी बार इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और कहीं न कहीं से यह चुनाव उनकी प्रतिष्ठा पर भी है। 

बसपा नहीं है कमजोर
बहुजन समाज पार्टी इस विधानसभा क्षेत्र में बेहद कमजोर है, कई बार तो स्थितियां ऐसी रही कि बहुजन समाज पार्टी बीते हुए विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर भी रही। जैसे कि साल 2002 के हुए चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी सुग्रीव सिंह भले ही अपनी जीत ना दर्ज कर पाए लेकिन मतगणना के बाद वह दूसरे स्थान पर रहे। यही हाल 2007 में भी रहा जब बहुजन समाज पार्टी यहां दूसरे नंबर पर रही। पिछले चुनाव की अगर बात करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में जब समाजवादी पार्टी से बगावत कर पार्टी के कद्दावर नेता अंबिका चौधरी विधानसभा का चुनाव लड़े तो वह भी दूसरे स्थान पर रहे। वह अपने प्रतिद्वंदी उपेंद्र तिवारी से शिकस्त पाए। हालांकि पार्टी ने अभी यहां बहुजन समाज पार्टी का प्रत्याशी नहीं घोषित किया है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि जब सभी दलों के लोग अपना प्रत्याशी घोषित कर देंगे तब बसपा सुप्रीमो वहां के समीकरणों को समझ कर इस बार सोच समझकर दांव लगाएंगी। 

2022 के विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बहुजन समाज पार्टी पिछले चुनाव की तरह एक बार फिर अपना खाता नहीं खोल पाती है या फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी अपनी जीत दर्ज कर बसपा का झंडा इस विधानसभा में पहली बार लहरा पाता है।

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