Inside story:UP चुनाव में कितना कारगर होगा कांग्रेस को मौलाना ही तौकीर का साथ, या बदल जायेगी कांग्रेस की बिसात

सुन्नी मुसलमानों की विश्व प्रसिद्ध दगाह आला हजरत हजरत से जुड़े और इत्तहाद-ए-मिल्लत कौंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने उत्तर प्रदेश समेत सभी पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया है लेकिन खासतौर पर उत्तर प्रदेश में, जहां भाजपा सरकार को उखाड़ने के लिए मुसलमानों का रुख समाजवादी पार्टी अपने साथ होने का दावा कर रही है, उसमें मौलाना तौकीर रजा खां बरेलवी मुसलमानों को कांग्रेस के साथ कितना ला पाएंगे, यह सवाल सबके जेहन में है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 25, 2022 1:39 PM IST / Updated: Jan 25 2022, 09:25 PM IST

राजीव शर्मा 
बरेली: 
आला हजरत खानदान के वरिष्ठ सदस्य और आईएमसी मुखिया मौलाना तौकीर रजा खां ने हाल ही में दिल्ली में कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन करने की इच्छा जताई तो उसके कुछ दिनों बाद ही लख्नऊ में कांग्रेस मुख्यालय पर प्रेस वार्ता बुलाकर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार सिंह लल्लू की मौजूदगी में मौलाना तौकीर रजा ने ऐलान कर दिया कि वह कांग्रेस को मजबूती देने और सत्ता में लाने के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। बकौल मौलाना तौकीर पहले वही चाहते थे कि भाजपा जैसी सांप्रदायिक सरकार को उत्तर प्रदेश से हटाने के लिए सपा उनसे बात करे। उनकी सपा अध्यक्ष और अखिलेश यादव से कुछ वक्त पहले बात भी हुई थी, जिसमें वह अपने मुस्लिम एजेंडे पर अखिलेश से आश्वासन चाहते थे। मौलाना के अनुसार, उन्होंने अखिलेश यादव से सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश में दंगा नियंत्रण आयोग और पीसीएस में उर्दू का पेपर बहाल करने जैसी मांगों को रखा था लेकिन सपा अध्यक्ष ने उनकी मांगों पर कोई आश्वासन नहीं दिया। नतीजतन, यह मानते हुए कि सपा मुसलमानों के हितों पर कुछ नहीं करना चाहती, उन्होंने कांग्रेस को समर्थन करने का निर्णय लेना मुनासिब समझा। मौलाना तौकर बताते हैं कि अखिलेश यादव के रुख से यह लगता है कि वह सत्ता में आने के लिए मुसलमानों का साथ तो चाहते हैं लेकिन मुसलमानों के लिए कुछ नहीं करना चाहते। जाहिर है कि सपा का मुस्लिम प्रेम महज दिखावा है, जबकि उनको लगा कि कांग्रेस ही आज के माहौल में सपा और बसपा के बजाय मुसलमानों का हित कर सकती है और भाजपा को दुबारा उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने से रोक सकती है इसलिए वह कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं।

वहीं मौलाना तौकीर रजा खां के समर्थन से कांग्रेस को यह उम्मीद दिख रही है कि मौलाना कई सीटों पर उसके वोट बैंक में इजाफा कर सकते हैं। खास तौर पर बरेली और मुरादाबाद मंडल में कई सीटों पर तो उनके साथ देने से असर दिख सकता है, जहां मौलाना तौकीर का खास प्रभाव है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो मौलाना तौकीर रजा खां ने विधानसभा, नगर निगम और नगर पालिकाओं के चुनाव में अपनी आईएमसी के प्रत्याशी उतारे थे। साल 2012 के चुनाव में उनको कामयाबी मिली, बरेली की भोजीपुरा सीट पर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे शहजिल इस्लाम को आईएमसी के समर्थन से चुनाव जिताकर, हालांकि बाद में पूर्व मंत्री शहजिल सपा में चले गए। वहीं, बरेली की कई अन्य सीटों पर भी अपने प्रत्याशी उतारकर, उन सीटों पर आईएमसी ने औसतन, प्रत्येक सीट पर 10 हजार से अधिक वोट दिलाए थे। ऐसे में, यह तो माना जा सकता है कि मौलाना तौकीर रजा हर सीट पर लगभग 10-12 हजार वोट तो प्रभावित करने का दम रखते ही हैं। जाहिर है कि कांग्रेस के साथ हर सीट पर वह मुसलमानों को हद तक लुभाने का प्रयास करेंगे ही, और वह जितने मुस्लिम वोटों को कांग्रेस के पक्ष में ला पाएंगे, इसका नुकसान सपा को ही होना है।

वैसे मौलाना तौकीर रजा खां ने पहले अपनी आईएमसी के प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया था लेकिन मुस्लिम मतों के बंटवारे से भाजपा को ही फायद होने के चलते उन्होंने अपने इस निर्णय पर अमल नहीं किया। नतीजतन, वह कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। वैसे, मुस्लिम वोटों के बंटवारे पर भाजपा को अप्रत्यक्ष लाभ मिलने को देखते हुए ही मौलाना तौकीर ने पिछले लोकसभा चुनाव में आईएमसी के प्रत्याशी नहीं उतारे थे लेकिन इस बार चूंकि एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी इस बार उत्तर प्रदेश में अपने प्रत्याशी उताकर चुनाव मैदान में आए हुए हैं। ऐसे में, माना जा रहा है कि मौलना तौकीर ने ओवैसी की राह रोकने के लिए कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया है। असल में, मौलाना तौकीर रजा जानते हैं कि कांग्रेस को साथ देकर ही वर्तमान चुनावी माहौल में खुद के वर्चस्व को साबित किया जा सकता है। हालांकि ओवैसी के सवाल पर वह कहते रहे हैं कि ओवैसी जो भाषा बोलते हैं, वह यूपी के मुसलमान पसंद नहीं कर सकते, क्योंकि उत्तर प्रदेश गंगा-जमुनी तहजीब को पसंद करने वाला राज्य है। यहां भड़काऊ भाषा बोलने वालों को नकार दिया जाता है। वह कहते हैं कि हम हिंदु-मुस्लिम भाईचारे की हिमायत करते हैं, इसलिए भाजपा जैसे सांप्रदायिक दल की मुखालफत कर रहे हैं। वह कहते हैं कि हम कांग्रेस को बाहर से समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव में जहां-जहां बुलाएगी, वहां-वहां उसके लिए सभाएं करेंगे।
 

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