Inside Story: कौन सी है वो विधानसभा सीट जहां बीजेपी कभी नहीं खोल पाई अपना खाता? 2022 में क्या बदलेंगे नतीजे

यह माना जा रहा है इस बार इस सीट पर समझ समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का कड़ा मुकाबला यहां देखने को मिलेगा। इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम यादव और अनुसूचित जाति बिरादरी यहां के विधायक को तय करने में अहम भूमिका निभाती है। निश्चित तौर पर इस बार भारतीय जनता पार्टी का भी या प्रयास रहेगा कि वंदना सिंह के जरिए वह इस विधानसभा में अपना खाता खोल सके।

Asianet News Hindi | Published : Jan 26, 2022 1:57 PM IST

रवि प्रकाश सिंह

आजमगढ़: 2022 के विधानसभा चुनाव में जहां समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है। वही आजमगढ़ की सगड़ी विधानसभा कि यदि बात करें तो सगड़ी विधानसभा में बीजेपी अब तक अपना खाता नहीं खोल पाई है। सगड़ी विधानसभा क्षेत्र के समीकरणों की अगर बात करें तो क्षेत्र में कुल 333730 मतदाता है, जिनमें लगभग 16 लाख के करीब महिला मतदाता हैं। क्षेत्र में अगर जातिगत आंकड़ों की बात करें तो लगभग इस विधानसभा क्षेत्र में 22000 राजपूत 15000 ब्राह्मण 18000 भूमिहार 16000 वैश्य 12000 चौहान 7000 राजभर 60000 कुर्मी लगभग 45000 मुस्लिम और 60000 के आसपास यादव तथा 9000 मल्लाह और अन्य बिरादरी के लोग शामिल हैं। 

क्या रहा राजनीतिक इतिहास
अब बात करते हैं आजादी के बाद से हुए चुनाव के नतीजों की 1952 में जहां स्थित पर सोशलिस्ट पार्टी के स्वामी सत्यानंद विधायक चुने गए, वहीं 1953 में इसी पार्टी के विश्राम राय को यहां से विधायक चुना गया। 1957 में इस सीट पर निर्दल पार्टी का कब्जा रहा जबकि 1962 में कांग्रेस के इंद्रासन सिंह यहां से विधायक चुने गए। 1967 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का स्थित पर कब्जा रहा ।वहीं 1969 में और 1974 में दोबारा यहां कांग्रेस पार्टी ने अपनी जीत दर्ज की ।1977 में जनता पार्टी के रामजन्म यादव यहां से विधायक चुने गए। 1980 में दोबारा इस सीट पर कांग्रेसका कब्जा हुआ 1985 में रामजन्म यादव दलित मजदूर किसान पार्टी से यहां विधायक चुने गए 1989 में फिर बाजी पार्टी और कांग्रेस के पंचानन राय दोबारा यहां से विधायक चुने गए ।1991 और 1993 में बसपा के खाते में रही। 1996 में समाजवादी पार्टी कि रामप्यारे सिंह ने यहां से समाजवादी पार्टी का खाता खोला 2002 में दोबारा यहां बसपा ने अपनी जीत दर्ज की। 2007 और 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने फिर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। 2017 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की वंदना सिंह यहां से विधायक चुनी गई जो वर्तमान में बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी के खेमे में हैं ।

सपा-बीजेपी का होगा मुकाबला
यह माना जा रहा है इस बार इस सीट पर समझ समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का कड़ा मुकाबला यहां देखने को मिलेगा। इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम यादव और अनुसूचित जाति बिरादरी यहां के विधायक को तय करने में अहम भूमिका निभाती है। निश्चित तौर पर इस बार भारतीय जनता पार्टी का भी या प्रयास रहेगा कि वंदना सिंह के जरिए वह इस विधानसभा में अपना खाता खोल सके। हालांकि पार्टी द्वारा अभी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है लेकिन जिस तरह से चुनाव के ठीक पहले बसपा छोड़ भाजपा का दामन वंदना सिंह ने थामा है। उससे यह कयास लगाए जा रहे हैं की वंदना सिंह का टिकट मिलना लगभग तय है।
 

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