BJP ज्वाइन करते ही बढ़ी कल्याण सिंह की मुश्किलें, CBI ने कोर्ट में तलब करने के लिए दाखिल की अर्जी

Published : Sep 10, 2019, 11:59 AM IST
BJP ज्वाइन करते ही बढ़ी कल्याण सिंह की मुश्किलें, CBI ने कोर्ट में तलब करने के लिए दाखिल की अर्जी

सार

बीते 5 साल से यूपी की सक्रिय राजनीति से बाहर चल रहे 87 साल के कल्याण सिंह ने सोमवार बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान उन्होंने कहा, मैं एक बार फिर से राजनीति में सक्रिय होना चाहता हूं, इसलिए बीजेपी की सदस्यता ली।

लखनऊ. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह के दोबारा बीजेपी में शामिल होते ही उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई ने इन्हें आरोपी के रूप में विशेष कोर्ट में तलब करने के लिए अर्जी दाखिल की है। बता दें, विधान के अनुच्छेद 361 के तहत संवैधानिक पद (राजस्थान के राज्यपाल) होने के चलते इनके खिलाफ केस नहीं चल सकता था। लेकिन राज्यपाल के पद से हटते ही सीबीआई ने इनके खिलाफ एक्शन की तैयारी कर ली है। कल्याण की जगह कलराज मिश्र को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया है।

बीते 5 साल से यूपी की सक्रिय राजनीति से बाहर चल रहे 87 साल के कल्याण सिंह ने सोमवार बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान उन्होंने कहा, मैं एक बार फिर से राजनीति में सक्रिय होना चाहता हूं, इसलिए बीजेपी की सदस्यता ली। अयोध्या पवित्र स्थान है। राम मंदिर का निर्माण करोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। सभी राजनीतिक दल जनता के सामने अपना रुख साफ करें।

सीबीआई ने क्यों डाली अर्जी 
साल 1992 में जब अयोध्या के विवादित ढांचा बाबरी मस्जिद गिराया गया, उस समय यूपी के सीएम कल्याण सिंह थे। 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्यगोपाल दास और उमा भारती के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोपों में केस दर्ज करने का आदेश दिया। इससे पहले 3 सितंबर 2014 को कल्याण को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था। संवैधानिक पद पर होने की वजह से वो केस से बच गए। जबकि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती ,साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्यगोपाल दास वर्तमान में जमानत पर हैं।

जानें कल्याण सिंह पर क्या लगे आरोप  
सूत्रों के अनुसार, बतौर सीएम कल्याण सिंह ने नेशनल इंटिग्रेशन काउंसिल को यह आश्वासन दिया था कि वो विवादित ढांचे को गिराने नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी विवादित स्थल पर सिर्फ प्रतीकात्मक कार सेवा करने की मंजूरी दी थी, लेकिन कार सेवकों ने मस्जिद गिरा दी। यही नहीं बाबरी विध्वंस के बाद कल्याण ने जिम्मेदारी लेते हुए सरकार से इस्तीफा दे दिया था। आरोप है कि, कल्याण सीएम रहते हुए भी केंद्रीय बल के इस्तेमाल का आदेश नहीं दिया।

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