कानपुर: काम के पैसा मांगने पर बिल्डर ने ठेकेदार को जलाया जिंदा, मौत से पहले युवक ने बताया पूरा सच

यूपी के कानपुर जिले में ठेकेदार को जिंदा फूंकने के मामले में एक नया तथ्य सामने आया है। ऐसा कहा जा रहा है कि आरोपी बिल्डर को एक बड़े भाजपा नेता की शह मिली हुई है और पैसे न देने के पीछे यह भी एक बड़ी वजह सामने निकलकर आ रही है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 21, 2022 5:49 AM IST

कानपुर: उत्तर प्रदेश के जिले कानपुर में ठेकेदार की हत्या के मामले में नया तथ्य सामने आ रहा है। ठेकेदार को जिंदा फूंकने वाला बिल्डर शैलेंद्र श्रीवास्तव एक बड़े भाजपा नेता का बेहद करीबी है। शायद इसी वजह से पिछले काफी समय से मृतक ठेकेदार राजेंद्र पुलिस व प्रशासन के अफसरों से गुहार लगाते रहे लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। थाने चौकी के चक्कर से लेकर आईजीआरएस पोर्टल पर भी शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंत में इतनी बड़ी वारदात हो गई और राजेंद्र को जिंदा जला दिया गया। इस घटना के बाद से पीड़ित परिजनों ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

शिकायत के बाद कोई कार्रवाई न होने पर बढ़े हौसले
वहीं राजेंद्र के बेटे अरविंद ने बताया कि जब से बिल्डर ने पैसे हड़पे थे, तभी से पूरा परिवार काफी परेशान रहता था। चकेरी थाना से लेकर सीएम पोर्टल पर शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई बस आश्वासन दिया गया। उसके बाद न तो पैसा मिला और न ही बिल्डर के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। इसी कारणवश बिल्डर मनमर्जी कर इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया। उसको ऐसा लगने लगा था कि अब उसको पैसा नहीं देना पड़ेगा। अरविंद आगे कहता है कि करीब एक साल पहले मामले में सिविल केस दायर किया गया था, जो अभी भी चल रहा है। पिता राजेंद्र कर्ज में थे इसलिए वह आक्रोशित थे और बार-बार शैलेंद्र से पैसे वापस करने की मांग कर रहे थे। 

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दो साल पहले दोनों पक्षों के बीच हुआ था समझौता
राजेंद्र के बेटे अरविंद की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। जिसमें शैलेंद्र श्रीवास्तव, उसका मुंशी राघवेंद्र तिवारी व अन्य अज्ञात को आरोपी बनाया गया। उन पर एक मकसद (धारा 34) से साजिश रचकर(120बी) हत्या(302) करने की धारा लगाई गई है। डीसीपी ने बताया कि दोनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। इस मामले में आरोपी से जब डीसीपी पूर्वी ने पूछताछ की तो पता चला कि पिछले साल अक्टूबर को जब पुलिस के पास यह मामला पहुंचा था तो दोनों पक्षों को बुलाया गया था। तत्कालीन चकेरी इंस्पेक्टर मधुर मिश्रा की मौजूदगी में दोनों पक्षों में समझौता भी हुआ था। उस समय बिल्डर शैलेंद्र ने पैसे वापस करने के लिए हामी भरी थी लेकिन वह बाद में अपनी ही बात से मुकर गया और विवाद लगातार गहराता गया। 

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