'पहले थोड़ा दिखता था, अब तो अंधेरा ही छाया है' मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद लापरवाही से गई 6 बुजुर्गों की रोशनी

यूपी कानपुर में बर्रा स्थित आऱाध्या आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 6 बुजुर्गों के आंख की रोशनी चली गई। मामला सामने आने के बाद हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 6 बुजुर्गों की आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई। बता दें कि इन बुजुर्गों की आंख का ऑपरेशन बर्रा स्थित आराध्या आई हॉस्पिटल में किया गया था। सांसद मिश्रिख और सीएओ के पास मामला पहुंचने के बाद हड़कंप मच गया और आनन-फानन में अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया। वहीं डॉक्टरों पर अब FIR कराने की तैयारी की जा रही है। शिवराजपुर सीएचसी प्रभारी डा. अनुज दीक्षित ने मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि ऑपरेशन के 6 घंटे बाद सभी को घर भेज दिया गया था। जबिक मरीज को कम से कम 12 घंटे तक हॉस्पिटल में डॉक्टर की निगरानी में रखा जाता है।

एक दिन में किया गया 18 लोगों का ऑपरेशन
बुजुर्गों ने बताया कि बीते 2 नवंबर की शाम को उनकी पट्टी भी खोल दी गई थी। आंखों की रोशनी गंवाने वाले बुजुर्ग राजाराम कुरील ने कहा कि उनका आधा सिर दर्द से फटा जा रहा है। दर्द इतना तेज है कि वह असहनीय लग रहा है। उन्होंने बताया कि कोई देखने-सुनने वाला भी नहीं है। जिन डॉक्टर को रोशनी देनी थी उनकी लापरवाही ने आखों की रोशनी ही छीन ली। वहीं डॉ. अनुज ने बताया कि आज सभी 6 बुजुर्गों की आंखों का चेकअप जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में कराया जाएगा। बता दें कि आई कैंप में एक दिन में 18 लोगों का ऑपरेशन किया गया था। जिनमें से 12 लोगों की आंखें ऑपरेशन के बाद ठीक हैं। फिलहास एक्सपर्ट्स के देखने के बात पता चलेगा कि आखिर लापरवाही कहां हुई है।

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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी देते रहे आश्वासन
आराध्या नर्सिंग होम के आई कैम्प में आंख का ऑपरेशन कराने वाले बुजुर्ग 13 दिनों तक भटकते रहे। वहीं डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बुजुर्गों को केवल आश्वासन देते रहे। साथ ही ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर भी उन्हें टरकाते रहे। पीड़ितों ने बताया कि बीते 2 नवंबर को जांच का कैंप लगा था। जिसके बाद सुघरदेवा गांव निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग राजाराम कुरील, 63 वर्षीय रमेश कश्यप, 63 वर्षीय नन्हीं देवी, 75 वर्षीय सुल्ताना देवी, 67 वर्षीय रमादेवी और 72 वर्षीय शेर सिंह कैंप में आंखों की जांच करवाने गए थे। इस दौरान चेकअप कर बताया कि उनकी आंख का मोतियाबिंद पक गया है। इसके बाद सभी लोगों से 1 हजार रुपए जमा करवा कर उन्हें कानपुर के आराध्या अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद डॉ. नीरज गुप्ता और डॉ. अंशुल पांडेय ने सभी का ऑपरेशन कर उनको गांव वापस भेज दिया। 

हॉस्पिटल का लाइसेंस किया गया रद्द
बताया गया कि 1 हफ्ते बाद उन लोगों को दोबारा चेकअप के लिए बुलाया गया। जब 8 नवंबर को 6 बुजुर्गों की आंखों मे खुजली और दर्द हुआ तो उनके परिजनों ने 9 नवंबर को दुर्गेश से संपर्क किया। दुर्गेश ने 200-200 रुपए लेकर 13 नवम्बर को आराध्या हॉस्पिटल में डॉ. गुप्ता से चेकअप कराया और दवा देकर फिर गांव भेज दिया। इसके बाद आंख की रोशनी गंवाने वाले बुजुर्ग बीते 17 नवंबर को गांव के प्रधान हरपाल सिंह चंदेल से मिले। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधान पीड़ित बजुर्गों को लेकर शंकरा नेत्र चिकित्सालय चौबेपुर ले गए। यहां पर चेकअप कर डॉक्टरों ने बताया कि मोतियाबिंद वाली आंख में संक्रमण फैलने के कारण आंख की रोशनी चली गई है। इसके बाद पीड़ित मिश्रिख सांसद अशोक सांसद से मिले और मामले की सूचना दी। फिर सांसद ने सीएमओ से शिकायत की तो मामला सामने आया। एक्शन के तौर पर फिलहाल अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।

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