कानपुर के रावतपुर थाना इलाके में एक परिवार में डेढ़ साल तक आयकर विबाग के अधिकारी की लाश रखी रही। मामले की जानकारी उस दौरान हुई जब शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची।
कानपुर: रावतपुर थाना क्षेत्र के कृष्णापुरी रोशन नगर में एक परिवार तकरीबन डेढ़ साल से अपने घर में लाश के साथ रहता रहा। आयकर विभाग के अधिकारी की लाश के बारे में जानकारी उस दौरान हुई जब शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम उनके घर पर पहुंची। पिता राम औतार की ओर से जानकारी दी गई कि 18 अप्रैल 2021 को विमलेश कोरोना से संक्रमित हो गए थे। इसके बाद परिजनों ने उन्हें उपचार के लिए बिरहाना रोड पर स्थित मोती हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। यहां उपचार के बाद 22 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन की ओर से नियमों की अनदेखी की गई और शव को मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ ही विमलेश के घरवालों को सुपुर्द कर दिया गया।
धीरे-धीरे सूख गया शव, मां-बाप की उम्मीदें रही जिंदा
विमलेश का शव 22 अप्रैल 2021 को जब उनके घरवालों को मिला तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि उनके बेटे की मौत हो गई। परिजन उसे जिंदा ही मान रहे थे। यहां तक महीनेभर उन्होंने उसे ऑक्सीजन भी लगाई। इस बीच वह रोज उसे गंगाजल से और कभी-कभी डिटॉल से साफ भी करते। धीरे-धीरे शव सूखने लगा और मां-बाप की उम्मीदें जिंदा रहीं। अवसाद से दोनों इस कदर ग्रसित थे कि मानने को ही तैयार नहीं थे कि उनका बेटा इस दुनिया में नहीं है। डॉक्टरों का दावा है कि माता-पिता की देखभाल की वजह से ही शव सड़ नहीं पाया और धीरे-धीरे विमलेश का लंबा-चौड़ा शरीर ममी में तब्दील हो गया। इस बीच शरीर पर फंगल इन्फेक्शन भी हुआ। आंख, मुंह, नाक और यहां तक की शरीर की सारी मांसपेशियां सूख चुकी थी और जबड़े से दांत भी बाहर आ गए थे। सिर्फ और सिर्फ शरीर में हड्डियां ही दिखाई दे रही थीं।
ईसीजी जांच के बाद पुलिस को सौंपा गया शव
रोशन नगर निवासी विमलेश का शव डेढ़ साल में ममीफाइड हो गया था। हालांकि माता-पिता उसकी धड़कन चलने का दावा करते हुए उसके शव को रोजाना गंगाजल डालकर पोछते रहें। मांस सूख गया और हड्डियां अकड़ने लगीं। इस बात का खुलासा स्वास्थ्य विभाग की जांच में हुआ। जांच कमेटी के द्वारा ईसीजी जांच कर शव को पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया। इसके बाद देर रात भैरव घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह में उसका अंतिम संस्कार किया गया। ज्ञात हो कि विमलेश सोनकर इनकम टैक्स विभाग में बतौर एओ तैनात थे। पिछले साल अप्रैल से ड्यूटी पर न जाने के बाद जब विभाग के कर्मचारियों ने परिजनों से उनके बीमार होने का प्रमाणपत्र मांगा तो पत्नी ने जवाब दिया कि घर पर ही उनका इलाज जारी है। इसी के चलते मेडिकल सार्टिफिकेट नहीं बन पा रहा। इसके बाद आयकर विभाग ने सीएमओ को पत्र लिखा कि विमलेश की पत्नी लिखती है कि उनके पति का मेडिकल सार्टिफिकेट नहीं बन पा रहा। इसके बाद सीएमओ ने जांच कमेटी गठित की। जांच में पता लगा कि विमलेश को पिछले साल अप्रैल में डबल निमोनिया हुआ था। शहर के कई अस्पतालों में भर्ती रहने के बाद उनकी मौत हो गई थी। डिप्टी सीएमओ ने कहा कि अस्पताल ने उन्हें मृत्यु प्रमाणपत्र भी दे दिया था। इसके बाद एटॉप्सी जांच और शव निस्तारित करने के लिए कहा गया।