128 साल पहले अंग्रेजों का बनाया नाला बना सेल्फी प्वाइंट, 28 करोड़ खर्च कर मोदी सरकार ने बचाई गंगा

एशिया के सबसे बड़ा 128 साल पुराना सीसामऊ नाला अब सेल्फी प्वाइंट बन गया है। हाल ही में सीएम योगी आदित्याथ ने नाले पर अपनी सेल्फी ले शेयर की थी। नाले से हर रोज करीब 183.29 एमएलडी प्रदूषित जल और सीवेज गंगा में गिरता था।

Asianet News Hindi | Published : Dec 14, 2019 8:18 AM IST

कानपुर (Uttar Pradesh). एशिया के सबसे बड़ा 128 साल पुराना सीसामऊ नाला अब सेल्फी प्वाइंट बन गया है। हाल ही में सीएम योगी आदित्याथ ने नाले पर अपनी सेल्फी ले शेयर की थी। नाले से हर रोज करीब 183.29 एमएलडी प्रदूषित जल और सीवेज गंगा में गिरता था। लेकिन नमामि गंगे प्रोजेक्ट के जरिए 754.51 एमएलडी दूषित जल का प्रवाह रोक दिया गया। बता दें, कानपुर में गंगा में 16 नाले गिरते थे, जिसमें आठ टैप हो चुके हैं। पांच आंशिक रूप से बंद हुए हैं। इससे नालों से गिरने वाला 95 फीसद सीवरेज रुक गया है। जिसके बाद गंगाजल में बीओडी (बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) में कमी आई। 

63 करोड़ की लागत से तीन साल में साफ हुआ नाला
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत 63 करोड़ रुपए की लागत से कानपुर में आठ बड़े नालों को बंद करने की योजना साल 2016 में बनाई गई थी। अंग्रेजों ने 1892 में शहर के गंदे पानी को बाहर निकालने के लिए नालों का निर्माण किया था। इसमें शामिल छह मीटर चौड़े सीसामऊ नाले पर 28 करोड़ रूपए की लागत से दो चरणों में इस नाले को पूरी तरह बंद कर दिया गया। नमामि गंगे के माध्यम से अब 14 करोड़ लीटर प्रदूषित जल का गंगा में गिरना एक झटके से बंद हो गया। इसका सारा प्रदूषित पानी वाजिदपुर और बिनगवां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में शोधन के लिए जाता है।

Latest Videos

कुछ ऐसी थी गंगा की स्थिति 
साल 2018 में गंगा में अपस्ट्रीम डीओ 7.69 और डाउनस्ट्रीम 5.67 था। वहीं, बीओडी अपस्ट्रीम 3.80 और डाउनस्ट्रीम 7.17 था। जबकि नमामि गंगे से साल 2019 में गंगा में डीओ अपस्ट्रीम 7.75 और डाउनस्ट्रीम 6.91 हो गया। जबकि बीओडी अपस्ट्रीम 3.16 और डाउनस्ट्रीम 4.40 हो गया है। आपको बता दें, बीओडी (बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) ऑक्सीजन की वह मात्रा है, जो पानी में रहने वाले जीवों को तमाम गैर-जरूरी ऑर्गेनिक पदार्थों को नष्ट करने के लिए चाहिए। बीओडी जितनी ज्यादा होगी पानी का ऑक्सीजन उतनी तेजी से खत्म होगा और बाकी जीवों पर उतना ही बुरा असर पड़ेगा। बीओडी अगर दो मिलीग्राम/लीटर से कम हो तो पानी की जांच किए बगैर इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर दो और तीन मिलीग्राम/लीटर के बीच हो तो पानी का इस्तेमाल सिर्फ नहाने के लिए हो सकता है। पीने के लिए नहीं। अगर तीन मिलीग्राम/लीटर से ऊपर है तो पानी को जांच के बिना इस्तेमाल नहीं किया सकता है। नहाने के लिए भी नहीं। बता दें, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीबीसी) के मापदंडों के आधार पर जल में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा एक लीटर जल में 6 मिलीग्राम से अधिक और बॉयो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड प्रति लीटर जल में दो मिली ग्राम होनी चाहिए। 

क्या है डीओ?
डीओ (डिजॉल्वड ऑक्सीजन) पानी में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा है। पानी में मिलने वाले प्रदूषण को दूर करने के लिए छोटे जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन की जरूरत होती है। अगर डीओ की मात्रा ज़्यादा है तो इसका मतलब है कि पानी में प्रदूषण कम है। क्योंकि जब प्रदूषण बढ़ता है तो इसे खत्म करने के लिए पानी वाले ऑर्गनिज्म को ज़्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है, इससे डीओ की मात्रा घट जाती है।

Share this article
click me!

Latest Videos

RSS और BJP की चुप्पी! संजय सिंह ने फिर से दोहराए Arvind Kejriwal के पूछे 5 सवाल
CM Atishi के पहले ही आदेश पर एलजी ने दिया झटका, आखिर क्यों लौटा दी फाइल
रिटर्न मशीन हैं 7 Stocks..मात्र 1 साल रखें बढ़ेगा पैसा!
आखिर क्यों 32 दिन में दोबारा जेलेंस्की से मिले PM Modi, सामने आया बड़ा प्लान
कौन थी महालक्ष्मीः हेमंत से शादी-अशरफ से दोस्ती, नतीजा- बॉडी के 40 टुकड़े । Bengaluru Mahalakshmi