
कानपुर: चंद्रेश्वर हाते को ही बार-बार विशेष वर्ग के लोगों के द्वारा क्यों निशाना बनाया जाता है इसको लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर कश्मीर की तरह ही यहां भी लोग 24 घंटे दहशत के साए में क्यो हैं यह सभी के जहन में हैं। वहीं 3 जून को हिंसा की घटना कानपुर में सामने आई उसके बाद तेजी से यहां पलायन शुरू हो गया है। चंद्रेश्वर हाते में रहने वाले लोगों के चेहरे पर डर का माहौल साफतौर पर देखा जा सकता है।
जख्मों की यादों को ताजा कर रहा हाते का हाल
कानपुर के डीएम और पुलिस कमिश्नर कार्यालय से महज एक किमी की दूरी पर स्थित परेड और घंटाघर जाने वाली नई सड़क पर पुलिस की मुश्तैदी है। यह मुश्तैदी बीते दिनों हुई हिंसा के जख्मों की याद दिलाने के लिए काफी है। इसी के साथ हाते के अंदर जहां दुकानों पर लोगों का मजमा होता था वह अब छाया सन्नाटा अपने आप में ही कई जवाब दे रहा है। जो लोग वहां बाहर दिखते भी हैं वह खुलकर कुछ बोलना नहीं चाहते। कैमरे पर बोलने के नाम से ही वह लोग घर में चले में जाते हैं। उनके मन में डर है कि वह कुछ खुलकर बोलेंगे तो उनके बच्चों तक की जान को खतरा हो सकता है।
दहशत के चलते रिश्तेदारों के घर पर शिफ्ट हुए लोग
सन्नाटे के बीच घरों पर लटक रहे तालों को लेकर पड़ोसी बताते हैं कि यहां रहने वाले लोग कहीं जा चुके हैं। जो लोग कॉलोनी में हैं वह कहते हैं कि ताले वाले घरों के लोग दहशत की वजह से रिश्तेदारों के वहां शिफ्ट हो गए हैं। इसी के चलते उनके घरों पर ताला लटक रहा है। भले ही लोग वहां कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बच रहे हैं लेकिन उनके अंदर हजारों सवाल चल रहे हैं। पुलिस की मौजूदगी में भी उन्हें सुरक्षा का एहसास पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। घटना की दहशत उनके दिमाग से उतर ही नहीं रही है। वह घर से बाहर निकलने तक की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर हिंसा वाले दिन उन्हें घर के अंदर दाखिल होने में अगर थोड़ी भी देर और हो जाती तो पता नहीं क्या होगा। उनकी मांग है कि प्रशासन उन्हें स्थाई रूप से सुरक्षा दे और आस-पास बनी अवैध बिल्डिंगों के खिलाफ भी कार्रवाई करे।
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