लखीमपुर हिंसा: कोर्ट रूम इनसाइड: UP सरकार ने क्या दिए थे तर्क, जिन पर CJI ने लगाई फटकार-दिया अल्टीमेटम

लखीमपुर कांड (Lakhimpur Kheri Violence) में 3 अक्टूबर को चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इसमें दो BJP कार्यकर्ता, एक मंत्री की थार जीप का ड्राइवर और एक पत्रकार शामिल थे। आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) ने ही गाड़ी से किसानों को कुचला था। हादसे के चौथे दिन यानी आज तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। सरकार की तरफ से मारे जाने वाले सभी आठ लोगों के घरवालों को 45-45 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी गई है। परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी का वादा भी किया गया है।
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 8, 2021 10:07 AM IST / Updated: Oct 08 2021, 05:05 PM IST

नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Khiri Voilence) मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने यूपी सरकार (UP Government) को जमकर फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice of India) ने सरकार से पूछा कि हत्या का केस दर्ज होने के बाद भी आरोपी की अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई है? आप क्या संदेश देना चाहते हैं? अब मामले में अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी। यूपी सरकार ने  कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) दाखिल की और अब तक उठाए गए कदमों के बारे में बताया। इधर, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा (Ajay Mishra) के बेटे और आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) शुक्रवार को पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच के सामने पेश नहीं हुआ है, इसलिए उसके घर के बाहर दूसरा नोटिस (Second Notice) लगाकर कल पूछताछ के लिए बुलाया गया है।


वकील अग्निश आदित्य: इस केस के बारे में कुछ कहना चाहता था।

सीजेआई रमना: हमारे पास सैकड़ों ईमेल आए हैं। हम इन 2 अधिवक्ताओं और राज्य के अलावा किसी और को पक्ष रखने की अनुमति नहीं देंगे।

यूपी सरकार की तरफ से सीनियर वकील हरीश साल्वे पक्ष रखने के लिए खड़े हुए।

कोर्ट ने यूपी के AAG को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि हिंसा में मारे गए लवप्रीत सिंह की मां को बेहतर मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जाए। बेंच को बताया गया था कि लवप्रीत की मौत से मां गहरे सदमे में हैं। 

साल्वे: इस संबंध में आपकी तरफ से नोटिस जारी किया गया था।

सीजेआई: नहीं, हमने नोटिस जारी नहीं किया।

साल्वे: इस मामले में ताजा अपडेट ये है कि जिस युवक (आशीष मिश्रा) पर आरोप लगे हैं, उसे हमने शनिवार सुबह 11 बजे तक हाजिर होने की मोहलत दी है। यदि वह बयान दर्ज कराने नहीं आता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मामला बेहद गंभीर है।

सीजेआई: यदि मामला गंभीर है तो जिस तरह से इसमें प्रोग्रेस होना चाहिए थी, वह अब तक नहीं हो पाई है। ऐसा लगता है कि जैसे- यह गंभीर केस सिर्फ बातों में है, कामों में नहीं।

जस्टिस हिमा कोहली: हलवे का सबूत खाने में होता है।

साल्वे: हिंसा में मारे गए लोगों को गोली लगने का आरोप है, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली लगना नहीं पाया गया है। सिर्फ चोटें आई हैं।

सीजेआई: ये आरोपी को गिरफ्तार नहीं किए जाने का आधार नहीं हो सकता है..

सीजेआई: हमें उम्मीद है कि जिम्मेदार सरकार और पुलिस काम करेगी। जब 302 जैसा गंभीर आरोप लगाया जाता है तो आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया जाता है ना? कृपया हमें बताएं.. नोटिस भेजा जाता है या नोटिस देकर बुलाया जाता है?

सीजेआई: ये ठीक नहीं है। जब आरोप 302 का है तो उसके साथ व्यवहार भी वैसा ही करें- जैसा हम अन्य मामलों में अन्य व्यक्तियों के साथ करते हैं। ऐसा नहीं है कि हमने नोटिस भेजा है, कृपया, बयान दर्ज कराने के लिए आओ...।

साल्वे: यह संभवतः 302 का केस है।

जस्टिस कोहली: शायद?

सीजेआई: घटनास्थल पर चश्मदीद गवाह थे।

सीजेआई: हम आपका सम्मान करते हैं। हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार जरूरी कदम उठाएगी। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हम कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। सीबीआई भी समाधान नहीं है। आप भी कारण जानते हैं। बेहतर होगा कि आप किसी और कारण का पता लगाएं, हम इस मामले में दशहरे की छुट्टी के तुरंत बाद सुनवाई करेंगे।

सीजेआई: क्या राज्य सरकार ने सीबीआई को जांच देने की सिफारिश की है?

जस्टिस सूर्यकांत: कानून ने जो भी शामिल हैं, उसके खिलाफ अपना काम किया होगा?

साल्वे: आज और कल के बीच जो भी कमी रही है, उसे पूरा किया जाएगा।

साल्वे: उन्हें जरूरी काम करना चाहिए था।

सीजेआई: हम क्या संदेश दे रहे हैं? सामान्य परिस्थितियों में 302 केस दर्ज होने पर पुलिस क्या करेगी? जाओ और आरोपी को गिरफ्तार करो।

साल्वे: हम सभी को गैर-जिम्मेदाराना ट्वीट्स का सामना करना पड़ रहा है।

सीजेआई: मैं ट्वीट के मुद्दे पर नहीं हूं, कुछ तो समझ होनी चाहिए। मैं कोर्ट में हूं, कैसे कर सकता हूं। लखनऊ जाओ और उनसे मिलो? 

अधिवक्ता अग्निश आदित्य: (एक अंग्रेजी चैनल का नाम लेकर) एक ट्वीट किया गया था, जिसमें कहा गया था कि CJI ने लखनऊ में मृतक के परिजन से मुलाकात की।

सीजेआई: हम कुछ नहीं कहना चाहते।

जस्टिस सूर्यकांत: यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहा है।

सीजेआई: जो अधिकारी ग्राउंड में हैं, उनके आचरण के कारण हमें उम्मीद नहीं है कि कोई जांच होगी। कृपया, डीजीपी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दें कि सभी साक्ष्य सुरक्षित रखे जाएं।

साल्वे: उन्हें कोर्ट को भरोसा दिलाना होगा।

जस्टिस कांत: उन्हें आत्मविश्वास जगाने के लिए कदम उठाने होंगे। मामले की 20 अक्टूबर को सुनवाई होनी है।

बेंच: हम डिटेल में जाने के इच्छुक नहीं हैं। छुट्टी के बाद सुनेंगे। इस बीच, सुनिश्चित किया कि वह लगातार संवाद करते रहेंगे। सबूत और अन्य तथ्य सुरक्षित रखने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कदम उठाएंगे।

बेंच: कोर्ट को संतुष्ट करने के लिए सुनिश्चित किया जाए कि अगली तारीख तक बड़े कदम उठाए जाएंगे और अन्य एजेंसियों से जांच कराए जाने के विकल्पों पर विचार किया जाएगा।

बेंच: हमने वरिष्ठ अधिवक्ता साल्वे को सुना है। उन्होंने राज्य द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी है। स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल की। हालांकि, हम राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं।

जस्टिस कोहली: हम मीडिया और उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, लेकिन, यह उचित नहीं है।

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