Lakhimpur Violence: SC ने हाईकोर्ट के पूर्व जज राकेश जैन को सौंपी जांच की निगरानी, SIT में 3 IPS होंगे

लखीमपुर हिंसा (Lakhimpur Violence) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana Highcourt) के पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार जैन (Former Judge Justice Rakesh Kumar Jain) को जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया है। इसके अलावा, एसआईटी में एक महिला समेत 3 वरिष्ठ IPS की नियुक्ति होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करने के लिए राकेश जैन केस की जांच की निगरानी करेंगे।
 

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Violence) मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट  (Punjab Haryana Highcourt) के पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार जैन (Former Judge Justice Rakesh Kumar Jain) को मामले में जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी में एक महिला समेत तीन वरिष्ठ IPS की नियुक्ति का भी आदेश दिया है। यह अधिकारी एसबी शिरोडकर (SB Shirodkar), प्रीतिंदर सिंह (Preetinder Singh) और पद्मजा चौहान (Padmaja Chauhan) होंगे। कोर्ट ने कहा है कि जस्टिस जैन निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करेंगे। एसआईटी (SIT) के जांच पूरी करने और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के बाद सुप्रीम कोर्ट मामले में फिर सुनवाई करेगा। 

इस केस में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में एसआईटी जांच पर भरोसा नहीं है। ऐसे में जांच की निगरानी के लिए एक हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति की जरूरत है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि एक विशेष आरोपी को 2 एफआईआर में ओवरलैप करके लाभ दिया जा रहा है। उसके बचाव में सबूत  जुटाए जा रहे हैं।

Latest Videos

सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर जताई थी नाराजगी
चीफ जस्टिस एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana), जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant) और जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी। बेंच ने कहा था- SIT जो इस मामले की जांच कर रही है, वो दोनों FIR के बीच अंतर नहीं कर पा रही है। जबकि दोनों FIR की अलग-अलग जांच होनी चाहिए। अलग-अलग ही चार्जशीट दाखिल होनी चाहिए। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी ना हो।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगे थे आईपीएस अधिकारियों के नाम
इससे पहले सोमवार को यूपी सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पूर्व न्यायाधीश से राज्य की एसआईटी जांच की निगरानी कराने के सुझाव पर सहमति व्यक्त की थी। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने एसआईटी जांच में छोटी रैंक के पुलिस अधिकारियों के शामिल होने के मसले को भी उठाया था और उत्तर प्रदेश कैडर के उन आईपीएस के अधिकारियों के नाम मांगे थे, जो राज्य के मूल निवासी नहीं हैं, ताकि उन्हें जांच टीम में शामिल किया जा सके।

ये है मामला
बता दें कि 3 अक्टूबर को हुई इस हिंसा में 4 किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी है। उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। यूपी सरकार ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन को 40-40 लाख रुपए मुआवजा दिया है। इसके साथ ही सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया था।

Lakhimpur Violence : गृह राज्य मंत्री के बेटे समेत 3 आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज

Lakhimpur Violence: केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष की लाइसेंसी बंदूक से गोली चलने की पुष्टि

Lakhimpur Voilence: SC से तीसरी बार UP सरकार को फटकार, कहा- एक आरोपी को बचाने के लिए सबूत इकट्ठे किए जा रहे?

Share this article
click me!

Latest Videos

The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
सचिन तेंदुलकर ने बॉलिंग करती लड़की का वीडियो शेयर किया, बताया भविष्य का जहीर खान #shorts
कौन है 12 साल की सुशीला, सचिन तेंदुलकर ने बताया भविष्य का जहीर खान, मंत्री भी कर रहे सलाम
जयपुर अग्निकांड: एक दिन बाद भी नहीं थमा मौत का सिलसिला, मुर्दाघर में लग रही भीड़
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts