ललितपुर के महरौनी थाने में पुलिसकर्मी और महिला पुलिस अधिकारी ने महिला के उत्पीड़न दिया। इसी पर मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी किया है। साथ ही चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के दोबारा सत्ता में वापसी आने के बाद से रोजाना आपराधिक घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। जिस पर आए दिन विपक्ष हमलावर होता रहता है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाए रखने के लिए अधिकारियों को भी निलंबित कर रहे है। लेकिन इन फैसलों से अफसरों और अपराधियों को अंदर कोई खौफ नही है। खूले आम वारदातों को अंजाम दे रहे है। यानी कहा जा सकता है कि इस समय यूपी में अपराध चरम पर है।
संगम नगरी में पिछले एक महीने में 17 से अधिक हत्याएं हो चुकी है, वहीं थाने में रिपोर्ट लिखवाने के लिए आई दुष्कर्म पीड़िता के साथ ही इंस्पेक्टर ने दुष्कर्म किया। इस सनसनीखेज ने सभी को चौंका दिया। इसी मामले में मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी और मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है।
महरौनी थाने की पुलिस ने महिला को पीटा
राज्य के ललितपुर जिले के पाली थाने में इंस्पेक्टर द्वारा किशोरी से दुष्कर्म की तरह कुछ ही घंटों में महरौनी थाना पुलिस की हरकत भी खाकी पर दाग लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इस थाने के सिपाही अंशू पटेल और उपनिरीक्षक पारुल चंदेल ने चोरी के शक में अंशू के घर पर काम करने वाली नौकरानी को पहले घर में निर्वस्त्र कर पीटा उसके पश्चात थाने में लाकर थर्ड डिग्री देकर प्रताड़ित किया।
नोटिस जारी कर चार सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
इसी मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र और पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में पूरी रिपोर्ट मांगी है। शनिवार को जारी मानवाधिकार आयोग के नोटिस में कहा गया है कि ललितपुर के महरौनी थाने में पुलिस कर्मियों ने घर में चोरी करने के शक पर महिला का हद दर्जे का उत्पीड़न किया है। उसे बेरहमी से बेल्ट से पीटा गया।
डीजीपी व मुख्य सचिव से पूछा सवाल
आयोग ने नोटिस में दो मई की घटना का उल्लेख किया है। महरौनी थाने के पुलिसकर्मी ने महिला पुलिस अधिकारी के साथ पहले घर में महिला को पीटा। उसके बाद पानी की बौछारें छोड़ने के साथ करंट तक लगाया ताकि चोरी का आरोप स्वीकर कर ले। इतना ही नहीं उसको थाने लाकर भी मारपीट की। फिर उसका पति से विवाद बताकर शांति भंग में कार्रवाई कर दी। आयोग ने इसी मामले पर मुख्य सचिव और डीजीपी से पूछा है कि आरोपितों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई और पीड़िता को राहत देने के संबंध में क्या कदम उठाए गए? इस संबंध में पूरी रिपोर्ट चार सप्ताह में उपलब्ध कराने के लिए कहा है।