गाजियाबाद में मुस्लिम बुजुर्ग से पिटाई का मामला, FIR में न्यूज पोर्टल, 2 पत्रकार और 3 कांग्रेसी नेताओं का नाम

यूपी पुलिस साइबर सेल ने भी ट्विटर को एक पत्र भेजकर उन ट्विटर अकाउंट का ब्योरा देने को कहा है, जिन्होंने इस वीडियो को सबसे पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 18, 2021 9:42 AM IST

गाजियाबाद. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के लोनी में एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई का वीडियो 14 जून को वायरल करके मामले को साम्प्रदायिक रंग देने के मामले में जांच शुरू हो गई है। गाजियाबाद पुलिस ने मामले के संबंध में ट्विटर इंडिया और ट्विटर कम्युनिकेशंस समेत सभी नौ आरोपियों को एक सप्ताह के भीतर लोनी बॉर्डर थाने में पेश होने के लिए नोटिस भेजना शुरू कर दिया है।

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ट्विटर इंडिया को धारा 160 CRPC के तहत नोटिस भेजा गया है। जिसमें एमडी मनीष माहेश्वरी को अपना बयान दर्ज करने के लिए पुलिस के सामने पेश होना है। इस मामले के अन्य सात आरोपियों को भी जांच में शामिल होने के लिए इसी तरह के नोटिस भेजे जा रहे हैं। एफआइआर में एक न्यूज पोर्टल और दो पत्रकार, तीन कांग्रेस नेता और एक सामाजिक कार्यकर्ता का नाम दंगा और साजिश रचने और दोनों समुदायों के बीच नफरत फैलाने के कारण नाम है। 

यूपी पुलिस साइबर सेल ने भी ट्विटर को एक पत्र भेजकर उन ट्विटर अकाउंट का ब्योरा देने को कहा है, जिन्होंने इस वीडियो को सबसे पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। यूपी पुलिस ट्विटर से यह भी जानना चाहती है कि उनमें से और कितने लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों को गलत सूचना देने के इरादे से वीडियो को पोस्ट किया था। पुलिस ऐसे यूजर्स का नाम, यूजर आईडी और आईपी एड्रेस चाहती है। बुजुर्ग से मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद गाजियाबाद पुलिस ने अब तक तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

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9 लोग गिरफ्तार
बुजुर्ग के साथ मारपीट के मामले में (दोनों समुदायों के) कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। तीसरी एफआइआर एक स्थानीय नेता, उमेद पहलवान के खिलाफ है, जिसने कथित तौर पर पीड़ित के साथ एक वीडियो बनाया था जिसमें कहा गया था कि उसे एक विशेष समुदाय के युवाओं द्वारा "जय श्री राम" का जाप करने के लिए मजबूर किया गया था। हालांकि, जांच के दौरान पुलिस ने दोनों समुदायों के लोगों को बुजुर्ग व्यक्ति के साथ मारपीट करने में शामिल पाया है और उसे जय श्री राम का जाप करने के लिए मजबूर नहीं किया गया था।  

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