
वाराणसी (Uttar Pradesh). काशी महाकाल एक्सप्रेस ट्रेन की 20 फरवरी से शुरुआत हो गई। ट्रेन कैंट रेलवे स्टेशन से दोपहर 2.45 बजे इंदौर के लिए रवाना हुई। ट्रेन दूसरे दिन सुबह 9.40 बजे इंदौर पहुंचाएगी। तीन ज्योतिर्लिंग को जोड़ने वाली ट्रेन में सबसे खास बात ये है कि इसमें भगवान शिव (मंदिर) के लिए एक सीट छोड़ी गई थी। मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शिव मंदिर को पेंट्रीकार में शिफ्ट कर दिया गया।
क्या है पूरा मामला
16 फरवरी को वाराणसी पहुंचे पीएम मोदी ने काशी महाकाल एक्सप्रेस ट्रेन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हरी झंडी दिखाई थी। उस समय यह बात सामने आई थी कि ट्रेन की बोगी नंबर बी-5 में सीट नंबर 64 पर भगवान महाकाल (शिव) का मंदिर बनाया गया है। मामला सामने आने पर हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने धर्मनिरपेक्षता का हवाला देते हुए इस पर सवाल भी उठाया। उन्होंने आपत्ति जताते हुए पीएमओ को टैग करते हुए संविधान की प्रस्तावना की एक तस्वीर ट्वीट की।
आईआरसीटीसी ने कही ये बात
मामला बढ़ने के बाद आईआरसीटीसी ने कहा, यह व्यवस्था सिर्फ काशी-महाकाल एक्सप्रेस की उद्घाटन यात्रा के लिए की गई थी। रेलवे की यह परियोजना सफल हो इसके लिए भगवान शिव के लिए एक सीट आरक्षित की गई थी। जिसे बाद में पेंट्रीकार में शिफ्ट कर दिया गया। बता दें, ट्रेन में सफर करने वाले धार्मिक यात्रियों का पूरा ख्याल रखा गया है। इसमें यात्रा के दौरान मनोरंजन और अध्यात्मिक अहसास के लिए भजन-कीर्तन बजेंगे।
जानें क्या है ट्रेन का रूट
ट्रेन हफ्ते में दो दिन मंगलवार व गुरुवार को वाराणसी से चलकर लखनऊ, कानपुर, बीना, भाेपाल, उज्जैन होते हुए इंदौर तक पहुंचेगी। इंदौर से बुधवार व शुक्रवार को उज्जैन, भोपाल, बीना, लखनऊ होकर वाराणसी पहुंचेगी। वहीं, रविवार को ट्रेन वाराणसी से इलाहाबाद, कानपुर, बीना होते हुए इंदौर पहुंचेगी। इंदौर से सोमवार को उज्जैन, संत हिरदाराम नगर, बीना, कानपुर, इलाहाबाद होकर वाराणसी पहुंचेगी।
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