संविदा भर्ती घोटाला मामले में 20 साल बाद एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है। इस मामले में लगातार जानकारी मांगी जा रही थी, हालांकि इसको लेकर कोई समुचित जवाब नहीं दिया जा रहा था।
लखनऊ: बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में 20 साल पहले 2003 में संविदा पर हुई नियुक्तियों में घोटाले में लीपापोती करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी है। विभागीय अधिकारियों के द्वारा मिलीभगत के चलते इस मामले को दबा दिया गया था। हालांकि नवनियुक्ति निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने नियुक्ति संबंधित फाइल सतर्कता विभाग को उपलब्ध करवाने वाले लिपिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी किया है। इसके बाद जल्द ही उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
बाबू दबाकर रखे थे फाइल
गौरतलब है कि शुरुआत से ही इस प्रकरण में जांच को दबाने की कोशिश की जा रही है। इस प्रकरण से संबंधित पत्रावलियों को उपलब्ध कराने के लिए गृह विभाग अभी तक आईसीडीएस निदेशालय को एक दर्जन से अधिक अनुस्मारक पत्र भी लिख चुका है। हालांकि निदेशालय के द्वारा पत्रावलियां उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं। इसी तरह से सतर्कता विभाग भी निदेशालय को 9 पत्र लिख चुका है। हालांकि निदेशालय के कुछ अधिकारी और बाबू मिलकर फाइल को दबाकर रखे हैं। वहीं सामने आए नए आदेश के बाद बाबू माना जा रहा है कि आने वाले समय में इस मामले में बड़ा एक्शन देखने को मिल सकता है।
आदेश के बाद निदेशालय में हड़कंप
मौजूदा निदेशक ने 17 सितंबर 2019 को सतर्कता विभाग के 11वें अनुस्मारक पत्र के जवाब में एक पत्र शासन को भेजा था। इसमें नियुक्ति से संबंधित एक भी अभिलेख निदेशालय में उपलब्ध न होने की बात कही गई थी। इसका मतलब था कि सारे अभिलेख गायब हो गए हैं। हाल ही में जब सरनीत कौर ब्रोका के कार्यभार संभालने के बाद यह मामला उनके संज्ञान में आया तो प्रारंभिक जानकारी लेकर संविदा पर नियुक्ति से संबंधित पटल देखने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए। निदेशक की ओर से दिए गए इस आदेश के बाद निदेशालय में भी हड़कंप मचा हुआ है।