लखनऊ गैंगरेप केस: हवस मिटाने महिला टीचर को घंटों नोंचते रहे दरिंदे, जख्म देखकर भी नहीं पसीजा पुलिस का दिल

यूपी के लखनऊ में ऑटो चालक ने एक युवक के साथ मिलकर 12वीं की छात्रा के साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद आरोपियों ने छात्रा को हुसड़िया चौराहे पर पुलिस चौकी से 100 मीटर की दूरी पर फेंककर फरार हो गए। वहीं पुलिस की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों से पीड़िता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।  

Asianet News Hindi | Published : Oct 18, 2022 12:31 PM IST / Updated: Oct 18 2022, 06:57 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दो दरिदों ने 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा के साथ दुष्कर्म किया। आरोपियों ने पीड़िता के साथ 2 घंटे में दो बार दुष्कर्म किया। पहले आरोपियों ने छात्रा के साथ पलासियो मॉल के पीछे झाड़ियों में दुष्कर्म किया और फिर ऑटों के अंदर। इसके बाद वह पीड़िता को बदहवास हालत में पुलिस चौकी से 100 मीटर की दूरी पर फेंककर फरार हो गए। इस दौरान पीड़िता के साथ पुलिस ने भी जो व्यवहार किया वह काफी शर्मसार करने वाला था। बता दें कि 15 अक्टूबर की रात को 9 बजकर 55 मिनट पर खून से लथपथ पीड़िता सड़क किनारे बनी रेलिंग पकड़कर खड़ी थी। इस दौरान उसे देखने के लिए वहां पर लोगों की भीड़ एकत्र होने लगी। तभी छात्रा ने एक व्यक्ति से फोन मांगकर अपनी दोस्त को घटनास्थल पर बुलाया। 

पीड़िता ने दोस्त को फोनकर दी मामले की सूचना
इस दौरान पीड़िता के दोस्त को लगा कि शायद उसका एक्सीडेंट हो गया है। लेकिन जब वह मौके पर पहुंची तो पीड़िता की हालत देखकर सहम गई। दोस्त को पास में देख वह फूट-फूटकर रोने लगी। हालत स्थिर हुई तो पीड़िता ने बताया ऑटो वाले ने एक लड़के के साथ मिलकर उसके साथ दुष्कर्म किया है। इसके बाद पीड़िता की दोस्त ने सबसे पहले उसके परिवार वालों को घटना की जानकारी दी। इसके बाद 1090 पर फोन मिलाया तो जवाब मिला कि नजदीकी चौकी या थाने से संपर्क करिए। 100 नंबर पर फोन मिलाया तो पुलिस मौके पर पहुंची। इस दौरान पुलिस ने पीड़िता को अस्पताल ले जाने के बजाय उस जगह पर ले गए जहां पर घटना को अंजाम दिया गया था। 

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पुलिस ने पीड़िता को घंटो सवालों में उलझाए रखा
बता दें कि पुलिस रात में 11 बजे फिर पीड़िता को लेकर फिर उसी जगह वापस आ गए जहां से 100 मीटर की दूरी पर हुसड़िया चौकी थी। पूरा मामला जानने के बाद भी पुलिस ने मामले पर रिपोर्ट दर्ज नहीं की और ना ही पीड़िता का मेडिकल जांच करवाई। पुलिस ने परिजनों के साथ पीड़िता को उसके घर भेज दिया। इस दौरान रिश्तेदारों की घर पर भीड़ लग गई। अगले दिन सुबह जब पीड़िता अपने परिवार के साथ मामले की शिकायत दर्ज कराने पहुंची तो पुलिस अधिकारी उससे सवाल करते और फिर दूसरे पुलिसवाले आते और सवाल करते। यही सिलसिला करते-करते करीब 20 घंटे बीत गए। लेकिन मामले पर सुनवाई नहीं की गई। इसके बाद पीड़िता के दोस्तों ने ताने के बाहर हंगामा करना शुरू किया तब जाकर पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज की। 

पीड़िता को अस्पताल में भी नहीं मिला उचित इलाज
इसके बाद उसे झलकारी बाई अस्पताल में एडमिट कराया गया। इस दौरान उसे अस्पताल में भी ठीक से इलाज नहीं मिल पाया। पीड़िता ने बताया कि इलाज के नाम पर उसे बस एक गोली दी गई। अस्पताल में एक जांच को तीन-तीन बार किया गया। पीड़िता ने बताया कि वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्चा निकालती है। उसके परिवार में केवल पिता ही कमाते हैं। लेकिन उनकी कमाई से पीड़िता की पढ़ाई का खर्चा नहीं उठाया जा सकता था। इसलिए उसने ट्यूशन पढ़ाना शुरूकर दिया। 

पुलिस ने एक आरोपी को किया गिरफ्तार
वहीं पुलिस अधिकारियों को करीब 36 घंटे बाद अपनी गलती का एहसास हुआ। DCP प्राची सिंह ने मामले पर संज्ञान लेते हुए सबसे पहले हुसड़िया चौकी इंचार्ज हुसैन अब्बास को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद पीड़िता को इधर से उधर दौड़ाने वाले विभूतिखंड, गोमतीनगर और सुशांत गोल्फ सिटी के इंचार्जों को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया है। बताया जा रहा है कि इस मामले के एक आरोपी आकाश तिवारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं इमरान को पकड़ने के लिए पुलिस लगातार छापा मार रही है। 

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