यूपी में नए साल में बिजली का बिल बकाया होने पर विद्युत विभाग कनेक्शन काट देगा। इसके साथ ही रकम वसूलने के लिए विभाग की ओर से अभियान चलाया जाएगा। जिसका भी दस हजार से ज्यादा बकाएदारों का पैसा जमा होने के बाद ही दोबारा कनेक्शन जोड़ा जाएगा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली बिल जमा नहीं करने वालों पर नए साल में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए बिजली बिल जमा नहीं करने वालों के खिलाफ नए साल में अभियान चलेगा। जिसमें करीब दस हजार से बड़े बकाएदारों का कनेक्शन काटा जाएगा और फिर रुपए जमा होने के बाद भी उनको जोड़ा जाएगा। रकम को वसूलने में घरेलू के साथ-साथ कर्मशल सभी तरह के कनेक्शन धारी शामिल होंगे। लेसा समेत मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के सभी जिलों में कनेक्शन काटने का अभियान व्यापक पैमाने पर चलेगा।
20 से ज्यादा शहरों में कनेक्शन काटने के चलेगा अभियान
इसको लेकर लेसा ट्रांस गोमती के अधिकारियों का कहना है कि इसको लेकर राज्य के सभी डिवीजन स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गई है। उनका कहना है कि लखनऊ में ट्रांस और सिस गोमती को मिलाकर करीब दो लाख से ज्यादा उपभोक्ता ऐसे है, जिनका बिजली बकाया 10000 रुपए से ज्यादा है। उन्होंने यह भी बताया कि लखनऊ समेत मध्यांचल के 20 से ज्यादा जिलों में कनेक्शन काटने का अभियान चलाया जाएगा। इसको लेकर डिवीजन स्तर पर एक्सईएन को निर्देश जारी कर दिया गया है।
कम से कम दो से तीन महीने तक बिजली बिल न हो जमा
अधिकारियों ने बताया कि इसमें उन उपभोक्ताओं को शामिल नहीं किया गया, जिसका एक महीने का ही बिल दस हजार से ज्यादा आता है। इस तरह के मामले में देखना होगा कि कम से कम उसने दो से तीन महीने तक अपना बिजली बिल न जमा किया हो। इसके अलावा यह भी सामने आ रहा है कि अभी शहर में ऐसे सैकड़ों लोग शामिल हो गए है, जिनका हजारों रुपए का बकाया हो गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार लेसा के उपभोक्ताओं पर बीस करोड़ रुपए से अधिक का बिल बकाया है।
छोटे बकाएदारों को नहीं जारी होगी कोई नोटिस
विद्युत विभाग की ओर से छोटे बकाएदारों को अब नोटिस भी जारी नहीं होगी क्योंकि बिल में लास्ट डेट दिया होता है। इस तरह के मामले में अगर संबंधित तारीख तक बिल जमा नहीं करते हैं तो कनेक्शन कभी भी काटा जा सकता है। ऐसे में मध्यांचल विद्युत वितरण के आदेश पर लेसा यह कनेक्शन काटने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा बिल को लेकर जानकारों का कहना है कि पूरे मध्यांचल में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या आठ लाख से ज्यादा हो सकती है।