लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सपा नेता की याजदान बिल्डिंग को जमींदोज करने की कार्रवाई शुरूकर दी गई थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने अब बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है। बता दें कि 7 मंजिला इमारत में करीब 40 फ्लैट बनाए गए हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सपा नेता की याजदान बिल्डिंग को गिराने की कार्रवाई शुरू होने के बाद हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है।। बता दें कि याजदान बिल्डिंग को जमींदोज करने के लिए मुंबई से विशेष टीम आई है। मजदूर सबसे पहले 7वें फ्लोर पर पहुंचे हैं। विरोध के बीच यजदान बिल्डर की बिल्डिंग को जमींदोज करने के मामले पर हाईकोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि कल तक बिल्डिंग नहीं तोड़ी जाएगी। बता दें कि इस मामले पर कोर्ट में कल सुनवाई की जाएगी। सुनवाई के दौरान बिल्डिंग को लेकर नया आदेश जारी किया जाएगा। बीते रविवार को यजदान अपार्टमेंट की चहारदीवारी को बुलडोजर से तोड़ा गया है। यह बिल्डिंग सपा नेता याजदान की है।
LDA अफसरों की मिलीभगत से किया गया अवैध निर्माण
वर्ष 2015 में प्रयाग नारायण रोड पर नजूल की जमीन पर इसका निर्माण कराया गया था। जब नजूल की भूमि पर बन रहे अपार्टमेंट का निर्माण हो रहा था तो LDA के अफसरों ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई। इतना ही नहीं अपार्टमेंट का मानचित्र स्वीकृत कर दिया था। वहीं शिकायत के बाद नौकरी बचाने के लिए LDA के अधिकारियों ने अपार्टमेंट को सील कर दिया था। इसके बाद शमन मानचित्र के लिए बिल्डर से 75 लाख रुपए जमा करा लिए गए। वहीं मानचित्र स्वीकृत होने के चलते यूपी रेरा ने भी इस प्रोजेक्ट को पंजीकृत कर लिया।
खरीददारों को हो रही परेशानी
बिल्डिंग को ध्वस्त करने के लिए इस समय करीब 30 मजदूर काम में लगे हैं। वहीं आसपास के लोगों का कहना है कि इस बिल्डिंग को तोड़ने में एक महीने का समय लग सकता है। वहीं बिल्डिंग के अंदर कोई प्रवेश ना कर सके, इसके लिए इसके चारों तरफ एक दीवार तैयार कर दी गई है। इस बिल्डिंग के चार फ्लैटों में खरीददार रह रहे थे। यहां रहने वाले फैजल ने बताया कि रेरा से प्रोजेक्ट स्वीकृत होने के बाद उन्होंने अपनी जीवन भर की यहां पर कमाई लगा दी। वहीं कुछ लोगों ने यहां पर फ्लैट लेने के लिए कर्जा भी लिया है। इसके LDA के अधिकारी भी बराबर के कुसूरवार हैं।
2 बार बिल्डिंग को किया जा चुका है सील
पिछले दो सालों से इस स्थान पर अवैध निमार्ण का कार्य चल रहा था। प्राधिकरण ने 2 बार बिल्डिंग को सील भी किया। लेकिन इसके बाद भी अवैध निर्माण जारी रहा। देखते ही देखते बिल्डर ने 7 मंजिला इमारत बनाकर खड़ी कर दी। इसमें करीब 40 फ्लैट बनाए गए हैं। वहीं इस बिल्डिंग के 80 फीसदी फ्लैटों की बिक्री भी हो चुकी है। इसकी कीमत 15 करोड़ रूपए से अधिक है। बताया जा रहा है कि बिल्डिंग के निर्माण के दौरान LDA अधिकारियों के पास लगातार पैसा भेजा जाता रहा है। इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब शासन स्तर पर दबाव बनाया गया तो कार्रवाई की जाने लगी। LDA के एक बाबू ने बताया कि अधिकारियों को ब्लैक मनी के तौर पर एक करोड़ से अधिक रुपए दिया गया है।