पबजी हत्याकांड में नाबालिग बेटे से दोबारा पूछताछ में कई खुलास हुए है। उसने पुलिस को बताया कि उसने मां को रात दो बजे गोली मारी थी। इतना ही नहीं वह करीब दस घंटे तक अपनी मां को तड़पता हुआ देखता रहा लेकिन बचाने का ख्याल एक भी बार नहीं आया।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी से सनसनी फैलाने वाले मामले में अब तक कई खुलासे हो चुके है। नाबालिग बेटे ने अपने ही मां को गोली से मारकर हत्या कर दी जिसकी वजह से पूरे इलाके में सनसनी फैली हुई है। पबजी हत्याकांड में मां की हत्या करने वाले नाबालिग बेटे ने पूछताछ में कबूला है कि उसने अपनी मां को रात दो गोली मारी थी, लेकिन दोपहर 12 बजे तक वो जिंदा और तड़पती रहीं। इतना ही नहीं बेटा अपनी मां की मौत होने के इंतजार में वो बार-बार दरवाजा खोलकर मां को तड़पते हुए देखता और फिर कमरे को बंद कर देता था।
दोबारा पूछताछ में हत्या को लेकर हुए कई खुलासे
ADCP यानी एडिशनल डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस काशिम आब्दी ने बताया की मृतका साधना सिंह की हत्या करने वाले नाबालिग बेटे से दोबारा पूछताछ की गई। जिसमें उसने बताया कि चार जून शनिवार की रात वह मां के साथ सोया था। उसी कमरे में पिस्टल भी रखी थी। मां के सोने के बाद सिरहाने से अलमारी की चाबी निकालकर करीब दो बजे पिस्टल निकाली। पिस्टल के साथ ही बुलेट और मैगजीन रखे थे। उसने बताया कि मैगजीन लोड करते हुए उसके हाथ कांप रहे थे क्योंकि इसके पहले कभी रियल गन नहीं चलाई थी।
मारने के बाद बहन की मुंह भाई ने अपनी तरफ घुमाया
उसके बाद उसने मां की कनपटी पर दाई तरफ सटाया और आंख बंद करके ट्रिगर दबा दिया। गोली की आवाज सुनते ही बहन हड़बड़ाकर उठ गई। लेकिन कातिल भाई व मृतका के बेटे ने उसका मुंह पकड़कर अपनी तरफ घुमा लिया। क्योंकि, गोली लगते ही मां के सिर से खून की तेज धार निकलने लगी थी। इसके बाद बहन को लेकर दूसरे कमरे में गया और इस रूम का दरवाजा बंद कर दिया। इतना ही नहीं आरोपी नाबालिग बेटे ने जब पिस्टल उठाई थी तो हाथ कांपने की वजह से तीन बुलेट फर्श पर ही गिर गई थी।
मां को तड़पता हुआ देखकर हत्यारा बेटा वापस आ जाता
कातिल नाबालिग बेटे ने पुलिस को यह भी बताया कि गोली लगने के बाद मां बेड पर छटपटाने लगी। उसी हालत में छोड़कर वह अपनी बहन को लेकर दूसरे कमरे में चला गयी। दूसरी गोली चलाने की हिम्मत नहीं हुई इसलिए मां के मरने का इंतजार करने लगा। वह हर घंटे में जाकर कमरे को खोलता और मां को तड़पता हुआ देखकर वापस दूसरे कमरे में आ जाता। लेकिन मन मे एक बार भी ख्याल नहीं आया कि उनकी जान बच जाए। इतना ही नहीं आरोपी बेटा मां के पास जाकर नाक पर हाथ रखकर देखता कि मां की सांस रूकी की नहीं। करीब दस घंटे में आठ बार उसने ऐसे ही चेक किया। दोपहर 12 बजे आखिरी बार गया तो मां के शरीर मे कोई हरकत नहीं थी यानी सांस भी थम चुकी थी। तब जाकर बेटे को भरोसा हुआ कि मां अब मर चुकी है।
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