यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बाद अब छात्र किस विषय की पढ़ाई कर रहे है, इसको लेकर भी सर्वे किया जाएगा। अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग के विशेष सचिव ने पत्र भेजकर शिक्षा अधिकारियों से पूरी जानकारी मांगी है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की दोबारा सरकार बनने के बाद जनता के हित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए है। इसी क्रम में राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे की रिपोर्ट 15 नवंबर तक मांगी गई है। यह सर्वे दस सितंबर से शुरू हुआ था। वहीं अब राज्य में अनुदानित मदरसे के छात्र किस विषय की पढ़ाई कर रहे हैं, इसका भी सर्वे होगा। इसके अलावा उन्हें किस विषय की कितनी पुस्तकों का निशुल्क वितरण हुआ है। इसके बारे में जानकरी पाठ्यपुस्तक अधिकारी डॉ पवन कुमार ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से मांगी है।
अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग के विशेष सचिव ने भेजा पत्र
दरअसल अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने निर्देश दिए थे कि मदरसों में पुस्तकों के वितरण को लेकर प्रारूप बदला जाए। उन्होंने कहा था छात्रों को कोर्स की एनसीईआरटी किताबों के लिए उनके अभिभावकों के खातों में सीधे पैसे दिए जाएं ताकि वह अपने बच्चों के लिए पाठ्यपुस्तकें खरीदकर दे सकें। पर यह योजना खटाई में पड़ती नजर आ रही है। अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग के विशेष सचिव आनंद कुमार सिंह ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक को पत्र भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत राज्यभर के 558 अनुदानित मदरसों में कक्षा आठ तक के छात्रों को फ्री पुस्तकें दी जा रही हैं।
अभिभावकों के खाते में पैसे भेजने पर किया जाएगा विचार
आनंद कुमार सिंह ने भेजे गए पत्र में यह भी कहा है कि पाठ्यपुस्तकें खरीदने के लिए उनके अभिभावकों के खातों में सीधा पैसा डालने के फैसले से धनराशि का दुरुपयोग की आशंका है। इस वजह से पैसे भेजने के फैसले पर दोबारा विचार किया जाएगा। उन्होंने यह सूचना मांगी है कि अनुदानित मदरसों में चालू वित्तीय वर्ष में कुल कितने विषयों की कितनी पुस्तकें किन-किन भाषाओं में उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अलावा यह भी बताना होगा कि उर्दू माध्यम की कुल वितरित पुस्तकों की संख्या शहर के अनुसार कितनी है। विशेष सचिव ने यह भी कहा है कि उर्दू भाषा की पुस्तकों की संख्या के साथ-साथ अन्य भाषा की पुस्तकों के वितरण पर भी सूचना भेजनी होगी। इन सभी की सूचना नवंबर महीने के पहले सप्ताह में ही देने को कहा गया है।