Special Story: बापू का महामना की बगिया से था विशेष लगाव, अपने जीवन में चार बार आए BHU, आज भी सजी हैं स्मृतियां

Published : Jan 30, 2022, 04:00 PM IST
Special Story: बापू का महामना की बगिया से था विशेष लगाव, अपने जीवन में चार बार आए BHU, आज भी सजी हैं स्मृतियां

सार

गांधीजी के बेहद करीबी माने जाने वाले महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय से गांधी जी का बड़ा लगाव था। यही वजह थी कि कई बार महात्मा गांधी वाराणसी आए, जिसमें से चार बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों में महात्मा गांधी ने हिस्सा लिया।

वाराणसी: राष्ट्रपति महात्मा गांधी का 73 वां पुण्यतिथि पूरा देश याद कर रहा है। साल 1948 में आज के दिन गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आज पूरा देश उनके विचारों को याद कर रहा है। गांधीजी के बेहद करीबी माने जाने वाले महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय से गांधी जी का बड़ा लगाव था। यही वजह थी कि कई बार महात्मा गांधी वाराणसी आए, जिसमें से चार बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों में महात्मा गांधी ने हिस्सा लिया।

बीएचयू कैंपस में है गांधी चबूतरा
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आज भी भारत रत्न दिन मदन मोहन मालवीय के साथ गांधीजी की यादें और उनसे जुड़ी तस्वीरें मालवीय भवन एवं भारत कला भवन में स्थापना से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन तक के चित्रों को संजोकर रखा गया है उसके साथ ही बीएचयू कैंपस में गांधी चबूतरा भी मौजूद है जहां 1942 में गांधी जी ने यहां पर संध्या वंदन किया था।

वाराणसी 11 बार की यात्रा में चार बार बीएचयू आए बापू
महात्मा गांधी लगभग 11 बार बनारस आए, जिसमें से चार बार वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आए. पहली बार 6 फरवरी 1916, दूसरी बार 1920 सें लगभग 1 हफ्ते का समय गुजारा, इसके बाद 10 फरवरी 1921 को काशी विद्यापीठ की स्थापना के समय, वहीं आखिरी बार राष्ट्रपिता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत समारोह में 21 जनवरी 1942 को आए थे।

अंग्रेजी भाषा को लेकर नाराज हुए गांधी जी
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना 1916 फरवरी में हुई थी स्थापना दिवस के कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिस्सा लिया । इस दौरान महात्मा गांधी ने अपनी बातों को हिंदी में रखा। कार्यक्रम में सभा को संबोधित करते हुए गांधी जी ने कहा कि इस महान विद्या पीठ के प्रांगण में अपने ही देशवासियों से एक विदेशी भाषा में बोलना पड़ा है, यह बड़ी शर्म की बात है।  

बीएचयू स्थापना की रजत जयंती का, मालवीय जी और कुलपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की उपस्थिति में वह दीक्षा समारोह में भाषण देने मंच पर आए। कटाक्ष करते हुए कहा कि हिंदी के इतने बड़े समर्थक मालवीयजी के इस विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर अंग्रेजी का व्यवहार हो रहा है। अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में अंकित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और उसके नीचे छोटा सा हिंदी में लिखा काशी हिंदू विश्वविद्यालय कहीं छिप गया है। यह सुन महामना मदन मोहन मालवीय ने तत्काल अंग्रेजी नाम हटाकर हिन्दी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय लिखवा दिया ।

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