मैनपुरी उपचुनाव में लगाई मृत कर्मी की ड्यूटी, फिर वेतन काटने का भी दिया आदेश, जानिए कैसे खुला राज

यूपी के मैनपुरी उपचुनाव में मृत कर्मी की ड्यूटी लगने के बाद से हर कोई हैरान है। इतना ही नहीं ड्यूटी पर नहीं जाने पर वेतन तक काटने का आदेश जारी कर दिया। इसका खुलासा होने के बाद सीडीओ ने जांच के आदेश दिए है।  

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में एक मतदान कर्मी की ड्यूटी को लेकर लापरवाही का सनसनीखेज कर देने वाला मामला सामने आया है। ऐसा इसलिए क्योंकि करीब छह महीने पहले मौत के शिकार हुए कर्मी की ड्यूटी चुनाव में लगाई गई। दरअसल पांच दिसंबर को हुए चुनाव में मृतकर्मी के ड्यूटी न करने के बाद छह दिसंबर देर शाम 50 कर्मियों को गैर हाजिर बताकर दो दिन वेतन काटने के साथ-साथ वेतन रोकने का भी आदेश जारी कर दिए गए है।

चुनाव प्रशिक्षण प्रक्रिया के बाद भी नहीं खुला राज
दरअसल चुनाव प्रक्रिया को अगर ठीक से समझा जाए तो किसी भी व्यक्ति की ड्यूटी लगने के बाद सबसे पहले उसका ड्यूटी कार्ड जारी किया जाता है। उसके बाद प्रशिक्षण होता है और फिर उसकी ड्यूटी बाकायदा मतदान कर्मी के रूप में लगाई जाती है। जब किसी का पहले ही निधन हो चुका है तो आखिरकार उसकी ड्यूटी कैसे लगी। इतना ही नहीं ड्यूटी कार्ड भी कैसे जारी हुई। इसके अलावा प्रशिक्षण प्रक्रिया कैसे पूरी हो गई और उसका नाम उन मतदान कर्मियों की सूची में कैसे शामिल हुई। इस तरह के कुछ सवाल बहुत ही गंभीर है।

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मृत व्यक्ति के ड्यूटी को लेकर उठ रहे सवाल
इस मामले के खुलासे के बाद सीडीओ ने जांच के आदेश दिए है। उनके स्तर से जारी हुए आदेश में हरी किशन को तृतीय मतदान अधिकारी के रूप में दर्शाया गया है, जिसकी ड्यूटी पोलिंग पार्टी 110 में लगाई गई थी। उनके आदेश के अनुक्रम में ऐसा कहा गया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत मतदान कर्मी ने ड्यूटी से गैरहाजिर रहकर गंभीर अपराध किया। इस वजह से उसका चार से पांच दिसंबर का वेतन काटने के साथ ही वेतन वृद्धि रोकने के आदेश जारी किए जाते हैं। इसके कारण सवाल खड़ा होता है कि जब कोई कर्मी मृत हो तो फिर वेतन काटने और वेतन वृद्धि रोकने के आदेश का क्रियान्वयन कौन और कैसे करवाएगा।

कर्मचारी की इसी साल हुई थी मौत
फिलहाल यह मामला तो सामने आता नहीं लेकिन मंगलवार की देर शाम चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने चार और पांच दिसंबर को इस मृतकर्मी को ड्यूटी से अनुपस्थित बताकर दो दिन का वेतन काटने के साथ-साथ रोकने का आदेश जारी कर दिया। अधिकारियों ने जिस कर्मी का वेतन रोका और काटा है वह तो इटावा मुख्यालय के केके डिग्री कालेज का सफाई कर्मी हरि किशन है। उसकी मौत साल 2022 में 31 मई को सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में उपचार के दौरान हो गई थी। इसके बाद दस जून को हरिकिशन का मृत्यु प्रमाण पत्र भी निर्गत कर दिया गया लेकिन तकनीकी तौर पर हरिकिशन की ड्यूटी मैनपुरी संसदीय सीट के उपचुनाव में लगा दी गई। इसको लेकर कॉलेज से एक पत्र भी जारी कर दिया गया, जिसमें जिक्र किया गया कि हरि किशन की मृत्यु हो चुकी है। इस वजह से इसको ड्यूटी से विरत कर दिया जाए लेकिन चुनाव ड्यूटी से जुड़े अधिकारियों और कर्मियों ने ऐसा नहीं किया।

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