
फिरोजाबाद (Uttar Pradesh). बीते दिनों भारत बांग्लादेश-इंटरनेशनल बार्डर पर हुई फायरिंग में शहीद हुए बीएसएफ के हेड कांस्टेबल का पार्थिव शरीर शनिवार को यूपी के फिरोजाबाद जिले के चमरौली गांव पहुंचा। देर शाम उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान घाट पर रोशनी का इंतजाम नहीं किए जाने से मोबाइल की रोशनी में शहीद को गार्ड ऑफ आनर दिया गया और अंतिम संस्कार किया गया। गौर करने वाली बात ये है कि घाट पर जिला प्रशासन के कई अफसर मौजूद थे।
अंतिम संस्कार से पहले परिजनों ने की ये डिमांड
वहीं, अंतिम संस्कार से पहले शहीद के परिजनों ने जमकर हंगामा किया। उनकी मांग थी कि सरकार उन्हें मुआवजा के साथ बेटे को नौकरी और पत्नी को एक पेट्रोल पंप आवंटित करे। डीएम ने परिवार को लिखित में भरोसा दिलाया, जिसके बाद वो अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए।
क्या है पूरा मामला
मक्खनपुर थानाक्षेत्र के चमरौली गांव में बीएसएफ में हेड कांस्टेबल विजयभान (51) का परिवार रहता है। इनके दो बेटे हैं, बड़ा बेटा विवेक एयरफोर्स में बंगलुरू में तैनात है। छोटा बेटा सुमित भी कॉम्पटीशन की तैयारी कर रहा है। जानकारी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से लगे मुर्शिदाबाद जिले में काकमरीचर सीमा चौकी है। तीन भारतीय मछुआरे पद्मा नदी में मछली पकड़ने गए थे। इस दौरान बीजीबी (बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड) ने इन्हें इंटरनेशनल बॉर्डर क्रॉस करने के आरोप में पकड़ लिया। बाद में इनमें से 2 को बीजीबी ने यह कहते हुए छोड़ दिया कि वे बीएसएफ को तीसरे मछुआरे के पकडे़ जाने के बारे में सूचना दें।
सूचना मिलते ही 117वीं बटालियन के बीएसएफ पोस्ट कमांडर, एक सब इंस्पेक्टर समेत छह सदस्यीय टीम एक मोटर बोट पर सवार होकर मामले को सुलझाने के लिए मौके पर पहुंची। लेकिन, बीजीबी के जवानों के तेवर सही नहीं लगने पर वह अपनी पोस्ट की ओर लौटने लगी। इस बीच, बीजीबी के सैयद नाम के एक जवान ने एके-47 से बीएसएफ टीम पर पीछे से फायरिंग कर दी। एक गोली विजय भान सिंह के सिर में लगी। वह बोट पर ही शहीद हो गए। एक गोली जवान राजवीर यादव के हाथ में लगी।
पत्नी से जवान ने किया था ये वादा
शहीद विजयभान की पत्नी सुनीता ने करवाचौथ का व्रत रखा था। जवान ने सुबह पत्नी को फोन कर उसका हालचाल जाना था। साथ ही उन्हें अपनी सेहत का ख्याल रखने की सलाह दी थी। जवान ने शाम को फोन के जरिए ही व्रत तुड़वाने का वादा किया था। लेकिन उससे पहले ही उनकी मौत की खबर घर पहुंच गई।
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