मथुरा में 20 रुपए के लिए शख्स ने रेलवे के खिलाफ लड़ी 21 साल की कानूनी लड़ाई, जानिए पूरा मामला

यूपी के जिले मथुरा में 20 रुपए के चक्कर में रेलवे को अब 15 हजार रुपए जुर्माना देना होगा। यह लड़ाई शख्स ने 21 साल तक लड़ी और अंत में मथुरा के वकील ने केस को जीत लिया। उपभोक्ता फोरम ने अधिवक्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए रेलवे को 15 हजार जुर्माना भरने को कहा है।

मथुरा: उत्तर प्रदेश के जिले मथुरा से एक अनोखा मामला सामने आया है। जहां एक शख्स ने 20 रुपए के लिए 21 साल तक लड़ाई की और अंत में जीत याची व्यक्ति की हुई। दरअसल शहर के रहने वाले अधिवक्ता  तुंगनाथ चतुर्वेदी ने रेलवे के बुकिंग क्लर्क द्वारा 20 रुपए अतिरिक्त लेने के मामले में उपभोक्ता फोरम में वाद डाला था, जिस पर 21 साल तक चली सुनवाई के बाद उपभोक्ता फोरम ने अधिवक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद से रेलवे के खिलाफ मुकदमे में अधिवक्ता की जीत हुई है।

साल 1999 का है पूरा मामला
शहर के गली पीरपंच निवासी अधिवक्ता तुंगनाथ चतुर्वेदी 25 दिसंबर 1999 को मुरादाबाद जाने के लिए मथुरा कैंट स्टेशन पर पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने दो टिकट के लिए बुकिंग क्लर्क से कहा, जिसके बाद 70 रुपए की टिकट पर बुकिंग क्लर्क ने 90 रुपए ले लिए जबकि एक टिकट 35 रुपए की थी। 35 रुपए प्रति टिकट के हिसाब से दो टिकट 70 रुपए के होते थे लेकिन रेलवे के बुकिंग क्लर्क ने 90 रुपए लिए। टिकट लेने के बाद अधिवक्ता ने क्लर्क से 20 रुपए वापस मांगे लेकिन उन्होंने वापस नहीं किए। दोनों के बीच काफी बहस हुई पर ट्रेन आ जाने की वजह से अधिवक्ता मुरादाबद के लिए निकल गए।

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उपभोक्ता फोरम में दर्ज कराया केस
तुंगनाथ ने निर्धारित रुपए से 20 रुपए ज्यादा वसूलने के मामले में इस अवैध वसूली के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दर्ज करा दिया है। इस केस में जनरल भारत संघ द्वारा जनरल मैनेजर नॉर्थ ईस्ट रेलवे गोरखपुर और मथुरा छावनी रेलवे स्टेशन के विंडो बुकिंग क्लर्क को पार्टी बनाया। 21 साल की लंबी लड़ाई अधिवक्ता तुंगनाथ ने लड़ी। जिसके बाद उपभोक्ता फोरम ने अधिवक्ता तुंगनाथ चतुर्वेदी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 20 रुपए प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत ब्याज सहित मानसिक आर्थिक और वाद व्यय के लिए 15 हजार रुपए को जुर्माने के रूप में अदा करने का आदेश दिया है।

30 दिन के अंदर धनराशि वापस करने का मिला आदेश
इस मामले में उपभोक्ता फोरम ने रेलवे को 30 दिन के अंदर धनराशि वापस करने के आदेश दिए हैं। अगर रेलवे 30 दिन के अंदर धनराशि वापस न करने पर 20 रुपए पर 15 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज से रकम चुकानी होगी। एडवोकेट तुंगनाथ चर्तुवेदी ने बताया कि न्याय मिलने में समय मिला पर वह उपभोक्ता फोरम के फैसले से संतुष्ट हैं कि आखिर अवैध वसूली के खिलाफ फैसला आया। उपभोक्ता फोरम में कई मुकदमे दर्ज होते रहते है जिसके बाद न्याय मिलने के साथ ही अर्थदंड भी मिलता है।

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