भक्त ने राधा रानी को दान किया स्वर्ण रजत गद्दी, दिल्ली के ज्वैलर्स ने 6 महीने में बनाया करोड़ों का सिंहासन

यूपी के जिले मथुरा के बरसाना में 6 करोड़ के सिंहासन पर राधा रानी विराजमान हो गई है। इसको तैयार करने में छह महीने का समय लगा और दिल्ली के दस ज्वैलर्स ने तैयार किया है। भक्त सिंहासन में राधा रानी को विशेष उत्सव में देख सकेंगे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 10, 2022 6:52 AM IST

मथुरा: उत्तर प्रदेश के जिले मथुरा के बरसाना में श्री जी मंदिर में छह करोड़ के सिहांसन पर राधा रानी विराजमान हुई और उसके बाद भक्तों को दर्शन दिए। राधा-रानी का स्वर्ण रजत हीरे से बने सिंहासन में विराजमान हो गई है। श्री बृज हरि संकीर्तन मंडन ने पांच किलो सोना, दस लाख के हीरे और 55 किलो चांदी से स्वर्ण रजत सिंहासन तैयार करवा कर राधा रानी मंदिर को भेंट किया। इसकी लागत छह करोड़ रुपए है और दिल्ली के दस ज्वैलर्स ने छह महीनों में सिंहासन को तैयार किया है।

सिंहासन बनने के लिए एकत्रित हुआ था चंदा
राधा-रानी का भक्त विशेष उत्सव जैसे होली, राधा अष्टमी पर अब स्वर्ण रजत सिंहासन के साथ ब्रहाांचल पर्वत पर दर्शन कर सकेंगे। संकीर्तन मंडल के एक सदस्य का कहना है कि बब्बू भैया आठ साल की उम्र से ही अपने पिता चिमनलाल के साथ बरसाना आते थे और 52 सालों से बिना पैसा लिए घरों में भजन कीर्तन का गायन कर रहे हैं। तभी उन्होंने श्री जी की प्रेरणा से उन्होंने राधा रानी के भक्तों से सिंहासन बनवाने के लिए कहा तो भक्तों का समूह तैयार हो गया था। लोगों के द्वारा दिए गए चंदों से एकत्र कर 55 किलो चांदी, पांच किलो सोना और दस लाख के हीरों से सिंहासन को तैयार करवाया।

ब्रज हरि संकीर्तन मंडल के द्वारा गया बनवाया
राधा रानी के स्वर्ण रजत सिंहासन में विराजमान होने की खुशी में मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन भी संकीर्तन मंडल के द्वारा आयोजन किया गया। दिल्ली में ब्रज हरि संकीर्तन मंडल द्वारा बनवाया गया सिंहासन निजी सुरक्षाकर्मियों की देख-रेख में बुधवार को बरसाना पहुंचा। उसके बाद मंदिर प्रबंधन और श्री ब्रज हरि संकीर्तन मंडल के भक्तों द्वारा इसे ब्रम्हाांचल पर्वत पर बने राधा रानी के मंदिर में ले गए। मंदिर में रखने के बाद सिंहासन की शुद्धि कर नव निर्मित सिंहासन में विराजमान हो राधा रानी ने भक्तों को दर्शन दिए।

सिर्फ विशेष उत्सव में विराजमान होंगी राधा रानी
वहीं मंदिर के रिसीवर संजय गोस्वामी का कहना है कि सिंहासन चार फीट चौड़ा और पांच फीट ऊंचा है। उसको मंदिर में बने तहखाने में रखा जाएगा और सिर्फ विशेष उत्सव पर ही बाहर लाया जाएगा। भक्त होली, राधा अष्टमी ,सावन का महीना ऐसे मौके पर दर्शन कर सकेंगे। सिंहासन के वजन और सुरक्षा कारणों की वजह से रोजाना राधा रानी को इसमें विराजमान संभव नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि राधा रानी अपने पिता ब्रसभानु का महल है। यहां पर राधा रानी बाल स्वरूप में कान्हा के साथ विराजमान है। 

भक्तों की अटूट श्रद्धा है बरसाना की राधा रानी में 
ब्रहमांचल पर्वत पर स्थित राधा रानी के मंदिर में दर्शन करने के लिए प्रतिदिन भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। उनके प्रति लोगों में अटूट श्रद्धा है। भक्तों का ऐसा मानना है कि भगवान श्री कृष्ण तो ब्रज को छोड़कर चले गए लेकिन आज भी राधा-रानी ब्रज में ही वास करती हैं। इसी वजह से ब्रजवासी भगवान कृष्ण का नाम लेने से पहले राधा रानी का नाम लेते हैं। भगवान श्री कृष्ण की अति प्रिय राधा रानी को ब्रज की सरकार कहा जाता है। मथुरा के बरसाना में राधा रानी का महल है, जो श्री जी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

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