वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भगदड़ से हुई दो लोगों की मौत के बाद सेवायतों ने कई सवाल खड़े किए है। सेवायतों ने पूछा है कि आखिर अधिकारियों ने नियमों का पालन क्यों नहीं किया?
मथुरा: वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुर बांके बिहारी मंदिर की मंगला आरती के समय भगदड़ से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इस घटना के बाद मंदिर परिसर के भीतर के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। य़ह घटना उस समय में हुई जब डीएम, एसएसपी, नगर आयुक्त मंदिर की ऊपरी मंजिल पर ही मौजूद थे। सेवायतों ने बताया कि अधिकारियों के परिजन मंदिर की बालकनी से दर्शन कर रहे थे और वीडियो भी बना रहे थे। हालांकि इस बात को लेकर सेवायतों ने कड़ी आपत्ति जताई है। सेवायतों का कहना है कि क्या आम लोगों के लिए ही नियम हैं और अधिकारियों के लिए कोई मानक नहीं हैं? जब मंदिर में वीडियो बनाना मना है तो अधिकारियों ने क्यों नियमों का उल्लंघन किया।
वीडियो बनाना अपराध की श्रेणी में
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत ने बताया कि ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में ठाकुरजी का फोटो औऱ वीडियो लेना मंदिर की मर्यादा का उल्लंघन और अपराध की श्रेणी में आता है। इसी के चलते परिसर में जगह-जगह पर फोटो लेना वर्जित है के बोर्ड भी लगे हुए हैं। हालांकि इसके बाद भी अधिकारी वहां पर वीडियो बना रहे हैं। उनका पूरा ध्यान परिवार पर ही था। आखिर जो नियम आम लोगों के लिए लागू है वह अधिकारियों पर लागू क्यों नहीं हैं।
नियमों के उल्लंघन पर अधिकारियों ने दी सफाई
उनका कहना है कि अधिकारी बताते हैं कि व्यवस्थाओं पर नजर रखने के लिए वह मोबाइल से वीडियो बना रहे थे। अगर ऐसा है तो जगह-जगह पर सीसीटीवी कैमरे और कार्यालय में कंट्रोल रूम किस लिए बनाया गया है। मंदिर में वीडियो बनाने के मामले में डीएम नवनीत चहल ने भी सफाई दी कि अधिकारी बांके बिहारी महाराज का वीडियो नहीं बना रहे थे वह मंदिर की व्यवस्थाओं पर नजर रखने के लिए वीडियो बना रहे थे। हालांकि भले ही अधिकारी कुछ भी दावा करते हो लेकिन वायरल वीडियो में साफतौर पर देखा जा सकता है कि अधिकारी किस तरह से ऊपर खड़े होकर ठाकुर जी का ही वीडियो बना रहे थे और परिजनों से बातचीत भी कर रहे थे। व्यवस्थाओं की ओर उनका कोई ध्यान ही नहीं था।
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