यूपी के मेरठ जिले में दो दिन की नवजात को गन्ने के खेत में छोड़ गए थे। ऐसी हरकत करने से उनकी रूह भी नहीं कांपी। खैर बच्ची को बचाने में भगवान की दया से वहां से गुजर रहे एक रिक्शेवाले ने उसकी जान बचाई और उसको अस्पताल में ले जाकर छोड़ दिया।
मेरठ: उत्तर प्रदेश के जिले मेरठ से एक ऐसी वारदात सामने आई है जिसे सुनकर हर किसी का दिल पसीज जाएगा। शहर में एक नवजात बालिका गन्ने के खेत में तड़पती मिली। गन्ने के खेत में मासूम की चीख किसी को सुनाई नहीं देती और वह वहीं तड़प-तड़प कर मर जाती। लेकिन भगवान की दया से उसकी चीख की पुकार यशोदा ने सुन ली और उसकी जान बच गई। शहर के माछरा इलाके में कोई निर्दयी लोग अपनी बेटी को मरने के लिए छोड़ गए थे लेकिन ऐसा कहा जाता है न कि मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है। वहां से गुजर रहे एक रिक्शेवाले को मासूम के चीख की पुकार सुनाई दी। जिसके बाद वह वहां से उठाकर ले आया और अस्पताल में पहुंचा दिया।
रिक्शेवाले ने मासूम को पहुंचाया अस्पताल
दो दिन की मासूम बच्ची को रिक्शेवाले ने तो अस्पताल पहुंचा दिया, जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू कर दिया क्योंकि उसकी हालत बहुत ही नाजुक थी। उसके बाद अस्पताल की टीम ने चाइल्ड लाइन को सूचित किया। अब ये मासूम बच्ची चाइल्ड लाइन की टीम के साथ है। इतना ही नहीं चाइल्ड लाइन की टीम ने बच्ची का नाम अपर्णा भी रख दिया है। शहर की चाइल्ड लाइन की निदेशिका अनीता राणा ने बताया कि उनके फोन पर सीएचसी माछरा के डॉक्टर मनीष ने सूचना दी कि 2 दिन की नवजात बच्ची को एक रिक्शा वाला लावारिस अवस्था में गन्ने के खेत से उठाकर लाया था। उस समय बच्ची की हालत नाजुक थी और बच्ची काफी मिट्टी में सनी हुई थी। इसकी जानकारी चाइल्ड लाइन टीम ने पुलिस को दी।
मासूम चाइल्ड लाइन की टीम के पास सुरक्षित
सूचना मिलते ही चाइल्ड लाइन कोऑर्डिनेटर निपुण कौशिक, रेलवे कोऑर्डिनेटर अजय कुमार, शिल्पी, शिवम और पवन कुमार दो दिन की बच्ची को लाने के लिए सीएचसी पहुंच गए। सीएचसी में डॉक्टर ने बच्ची का पूर्ण परीक्षण के बाद बताया कि अब बच्ची बिल्कुल स्वस्थ है। सूचना पर पहुंची पुलिस की टीम भी अस्पताल पहुंच गए। इसके बाद थाना किठौर में जीडी एंट्री के बाद पुलिस ने बच्ची को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया। जिसके बाद चाइल्ड लाइन ने समिति को अवगत करा दिया है और दो दिन की मासूम बच्ची अभी चाइल्ड लाइन के पास ही है।