
लखनऊ। यूपी की 403 विधानसभा सीटों के लिए काउंटिंग पूरी हो गई है। मेरठ जिले की सभी सीट पर भाजपा को सपा से कड़ी टक्कर मिली। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ(MEERUT) जिले में 7 विधानसभा सीटें आती हैं। ये हैं- मेरठ शहर( MEERUT), हस्तिनापुर(HASTINAPUR), किठौर(KITHORE), मेरठ कैंट(MEERUT CANTT), मेरठ दक्षिण( MEERUT SOUTH), सरधना(SARDHANA) और सिवालखास(SIWALKHAS)। यहां 2014 व 19 के लोकसभा के अलावा 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का परचम फहराया था। इस बार यहां किसान आंदोलन का अधिक असर दिखाई दिया था। टिकट के बंटवारे को लेकर भी सपा और राष्ट्रीय लोकदल में कलह सामने आई थी। यह इलाका जाटलैंड के तौर पर जाना जाता है।
मेरठ की सभी 7 सीटों की रिजल्ट अपडेट
यहां से सपा की जीत। यहां भाजपा-कमलदत्त शर्मा, बसपा- दिलशादी, सपा- रफीक अंसारी और कांग्रेस से रंजन शर्मा चुनाव मैदान में थे। यहां कमलदत्त शर्मा पर सबसे अधिक 6 आपराधिक केस दर्ज हैं।
बीजेपी की जीत। इस सीट पर भी भाजपा 1989 से लगाताार जीतती आई। 2017 में मेरठ कैंट में कुल 55.93 प्रतिशत वोट पड़े। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से सत्य प्रकाश अग्रवाल ने बहुजन समाज पार्टी के सतेंद्र सोलंकी को 76619 वोटों के मार्जिन से हराया था। यहां से भाजपा से लड़े अमित अग्रवाल पर सबसे अधिक 6 केस दर्ज हैं। यहां बसपा से लड़े अमित शर्मा पर 3 केस दर्ज हैं। यहां कांग्रेस से चुनाव लड़े अवनीश पर एक केस दर्ज है।
बीजेपी की जीत। खरखौदा सीट को खत्म कर 2008 के परिसीमन के बाद इस विधानसभा का अस्तित्व आया था। यहां मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व है। गुर्जर भी पांसा पलटने की क्षमता रखते आए हैं। 2017 में यहां 41.81 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। भाजपा के डॉ. सोमेंद्र तोमर ने बसपा के हाजी मोहम्मद याकूब को 35395 वोटों के मार्जिन से हराया था। यहां भाजपा से चुनाव लड़े डॉ. सोमेंद्र सिंह, सबसे अच्छी पार्टी से चुनाव लड़े अफजल और सपा से लड़े मोहम्मद आदिल पर 2-2 केस दर्ज थे।
सपा की जीत। इस सीट पर क्षत्रीय, गुर्जर और मुस्लिम वोटरों की बहुतायता है। 2017 में सरधना में 40.93 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। तब भाजपा के संगीत सिंह सोम ने सपा के अतुल प्रधान को 21625 वोटों के मार्जिन से हराया था। यहां सपा से चुनाव लड़ने वाले अतुल प्रधान पर रिकॉर्ड तोड़ 38 आपराधिक केस दर्ज थे। भाजपा से चुनाव लड़े संगीत सिंह सोम पर 7 मामले दर्ज थे।
बीजेपी की जीत। इसके बारे में कहा जाता है कि जिसका प्रत्याशी यहां से जीतता है, सरकार उसकी बनती है। 2017 में इस सुरक्षित सीट पर 44.92 प्रतिशत वोट पड़े थे। भाजपा के दिनेश खटीक ने बसपा के योगेश वर्मा को 36062 वोटों के मार्जिन से हराया था। यहां सपा से चुनाव लड़े योगेश वर्मा पर सबसे अधिक 32 मामले दर्ज हैं। भाजपा से लड़े दिनेश पर 4 केस दर्ज हैं। यहां बसपा से संजीव कुमार और कांग्रेस से अर्चना गौतम चुनाव लड़े थे।
राष्ट्रीय लोकदल के गुलाम मोहम्मद की जीत। इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व है। 2017 में सिवाल खास में कुल 32.32 प्रतिशत वोट पड़े थे। तब भाजपा के जितेंद्र पाल सिंह (बिल्लू) ने सपा के गुलाम मोहम्मद को 11421 वोटों के मार्जिन से हराया था। यहां भाजपा से चुनाव लड़े मनिंदर पाल पर 18, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक से लड़े अमित जानी पर 14, आजाद समाज पार्टी कांशीराम से लड़े भूपेंद्र सिंह पर 7 केस दर्ज हैं। यहां कांग्रेस से जगदीश प्रसाद और बसपा से मुकर्रम अली उर्फ नन्हे खातून चुनाव लड़े थे।
सपा की जीत। इस सीट पर मुस्लिम, त्यागी, गुर्जर और दलित वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। 2017 में किठौर में कुल 37.31 प्रतिशत वोट पड़े थे। तब भाजपा के सत्यवीर त्यागी ने सपा के शाहिद मंजूर को 10822 वोटों के मार्जिन से हराया था। यहां सपा से शाहिद मंजूर, भाजपा से सत्यवीर त्यागी, बसपा से कुशल पालन और कांग्रेस से बबीता गुर्जर चुनाव मैदान में थे। यहां शाहिद मंजूर पर 2 केस और सत्यवीर पर 1 केस दर्ज है।
राज्य में वोटरों की संख्या
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव(UP Election 2022) में पिछली बार 14,71,43,298 वोटर थे, जो इस बार बढ़कर 15,02,84005 हो गए थे। इनमें से 24,03,296 80 वर्ष से अधिक आयु के थे। पुरुष मतदाता 8,04,52,736 थे, जबकि महिलाओं की संख्या 6,98,22,416 थी। प्रदेश में कुल 8853 थर्ड जेंडर के वोटर थे।
UP Election Info
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में 403 विधानसभा सीट के लिए पहले चरण का मतदान 10 फरवरी, दूसरा चरण 14 फरवरी, तीसरा चरण 20 फरवरी, चौथा चरण 23 फरवरी, पांचवां चरण 27 फरवरी, छठा चरण 3 मार्च और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को हुआ था। यानी कुल 7 चरणों में यूपी में चुनाव हुआ था।
OBC सबसे अधिक
उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग यानी OBC वोटर सबसे अधिक हैं। इनकी संख्या 52 प्रतिशत है। इनमें भी यादव जाति सबसे ज्यादा 11% है। 2007 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 72 फीसदी यादवों के वोट मिले थे। लेकिन 2012 के चुनाव में यह 63 फीसदी रह गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में 66 फीसदी वोट मिले। 2014 के लोकसभा चुनाव में केवल 53 फ़ीसदी।
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