2 हजार से ज्यादा विधवा महिलाओं ने ब्रज में खेली होली, 'सुलभ होप फाउंडेशन' ने किए खास इंतजाम

मंगलवार को वृंदावन स्थित गोपीनाथ मंदिर में सैकड़ों विधवा माताओं के साथ होली के रंग बिखेरे गए। यहां सभी विधवा महिलाओं ने होली खेलकर अपने जीवन में खुशी का अनुभव करती हुई दिखाई दीं। उनकी दुनिया बेरंग हो चुकी थी। वे रंगों की दुनिया से दूर थीं। बदलते दौर में उनका भी समय बदला। आज वे वृंदावन में होली खेल रही हैं। 2000 से ज्यादा विधवा माताओं ने गुलाल के साथ होली खेली। 

मथुरा: जिन माताओं की जिंदगी अपनों की वजह से बदरंग हो गई थी उन माताओं की जिंदगी में रंग भरने का कार्य कर रही है सुलभ होप फाउंडेशन। आश्रय सदनों में रहने वाली विधवा माताओं के साथ होली, दीपावली और प्रमुख त्यौहारों को लगातार सुलभ होप फाउंडेशन मनाता चला आ रहा है। आज वृंदावन स्थित गोपीनाथ मंदिर में सैकड़ों विधवा माताओं के साथ होली के रंग बिखेरे गए। यहां सभी माताओं ने होली खेलकर अपने जीवन में खुशी का अनुभव करती हुई दिखाई दीं।

उनकी दुनिया बेरंग हो चुकी थी। वे रंगों की दुनिया से दूर थीं। बदलते दौर में उनका भी समय बदला। आज वे वृंदावन में होली खेल रही हैं। इस मंगलवार को वृंदावन में अपने जीवन में उन्होंने खुशियों के रंग भरे। 2000 से ज्यादा विधवा माताओं ने गुलाल के साथ होली खेली। कृष्ण की भक्ति में उनकी सफेद साड़ी गुलाल के रंगों से रंगीन हो गई। गोपीनाथ मंदिर के प्रांगण में इतने गुलाल और फूल उड़े कि फर्श पर इसकी मोटी परत जम गई।

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जमकर उड़ाए गए फूल और गुलाल
कोरोना काल से जैसे ही लोगों को राहत मिली और होली का अवसर लोगों के लिए एक खुशी लेकर आया। होली के त्यौहार पर हर कोई रंगों की मस्ती में रंगीन होकर होली खेल रहा है। अपनों द्वारा ठुकराई हुईं विधवा माताएं जिन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उनकी जिंदगी में वह रंग वापस लौट कर आएंगे जिनका उन्हें इंतजार था। 

वृंदावन के आश्रय सदनों में हजारों विधवा माताएं अपना जीवन यापन कर रही हैं। सामाजिक संस्थाओं के द्वारा त्यौहार पर इन माताओं के साथ हर उत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वृंदावन स्थित गोपीनाथ मंदिर में सुलभ होप फाउंडेशन की ओर से विधवा माताओं के जीवन को रंगीन करने के लिए होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। होली मिलन समारोह में सैकड़ों विधवा माताओं ने एक दूसरे के साथ होली खेलकर उस अलौकिक पल का लुफ्त उठाया। 

संस्था के द्वारा कई कुंटल गुलाल का था इंतजाम
सामाजिक संस्था सुलभ होप फाउंडेशन के द्वारा आयोजित किए गए होली के कार्यक्रम में कई कुंटल गुलाल और फूलों की वर्षा की गई। होली का वह अलौकिक और अद्भुत पल उन विधवा माताओं के जीवन में रंग भरने का हर साल कार्य कर रहा है, जो माताएं देश के विभिन्न राज्यों से आकर वृंदावन के आश्रय सदनों में रह रही हैं। 

विधवा माताओं के साथ मनाते हैं हर त्यौहार
विधवा माता ने बताया कि जिस तरह से हमारे साथ बिंदेश्वरी पाठक हर त्यौहार को मनाते हैं हम बहुत खुश हैं। एक समाजसेवी के रूप में हम विधवा माताओं को एक ऐसा बेटा मिला है जो हमें कभी घर की कमी नहीं खलने देता। होली हो, दीपावली हो या रक्षाबंधन हो हर त्यौहार को हमारे साथ वृंदावन आकर मनाता है। अपनों ने तो हमें ठुकरा दिया, लेकिन बांके बिहारी की कृपा से आज हम जिल्लत की जिंदगी नहीं जी रहे हैं और एक सम्मान हमको समाज नहीं दे सका वह हमें विंधेश्वरी पाठक दे रहा है। 

जमकर विधवा माताएं थिरकी भजनों की तान पर
यमुना किनारे स्थित गोपीनाथ मंदिर में होली उत्सव का आयोजन किया गया। होली के उत्सव का आनंद ले रही विधवा माताएं भजनों की तान पर थिरकती नजर आईं। एक दूसरे के साथ हंसी ठिठोली करती तो कभी भजनों पर झूमती नज़र आतीं। माताओं ने कहा कि होली विधवाओं की जिंदगी में नए रंग भर रही है। विधवाओं को आमतौर पर देश में होली खेलने से अलग रखा जाता है, लेकिन सुलभ चाहता है कि रंगभरी दुनिया में विधवाएं भी इसमें रम जाएं। 

गोपीनाथ मंदिर में होने वाली इस होली में शामिल होने आसपास के सैंकड़ों युवा श्रद्धालु भी आते हैं। भगवान को रंग, गुलाल लगाने के बाद युवकों ने छत से गुलाल और फूल माताओं पर बरसाए। गोपीनाथ मंदिर में मंगलवार को जब होली के भजन गाये जाने लगे तो यहां होली की मस्ती छाने लगी। भगवान को रंग, गुलाल लगाने के बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को जमकर रंग लगाया। माताओं ने होली का नाच-गाने के साथ जमकर आनंद लिया।

होली के गीतो पर थिरके माताओं के पैर
आज बिरज में होली रे रसिया गीत पर सैकड़ों माताएं गुलाल उड़ाकर नृत्य करती रहीं। फर्श पर कई इंच का गुलाल पड़ा और फूलों की बरसात होती रही। महिलाएं इस कदर होली के रंगों में खो गईं कि उन्हें पता ही नहीं चला कि भजनों की धुन पर उनके पैर कब थिरकने लगे। देशभर के कई इलाकों से आकर हजारों विधवा महिलाएं कृष्‍ण की भक्ति में वृंदावन में रहती हैं। वे साल में कुछ ही वक्‍त के लिए अपने घर जाती हैं। अधिकतर समय वो यहीं के आश्रम और मंदिरों में कृष्ण की भक्ति में जीवन गुजारती हैं।

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