कानपुर में मां के प्यार और अंधविश्वास ने 17 माह जिंदा रखा बेटे का शव, पत्नी ने पूछताछ में किया बड़ा खुलासा

कानपुर में मां के प्यार और अंधविश्वास के चलते एक मृत बेटे शव को 17 माह तक घर में रखे जाने का मामला सामने आया। पत्नी ने कहा कि उसे पहले ही पता था कि विमलेश की मौत हो गई है लेकिन वह घरवाले उसे जिंदा बता रहे थे। 

कानपुर: कृष्णापुरी रोशन नगर में 17 माह तक आयकर विभाग के कर्मचारी विमलेश का शव घर पर रखने के मामले में धीरे-धीरे खुलासे हो रहे हैं। जांच के क्रम में एडीसीवी वेस्ट लखनऊ सिंह यादव विमलेश के घऱ पर पहुंचे। वहां उन्होंने परिजनों से भी बात की। पता लगा कि मां के प्यार और अंधविश्वास के चलते ही 17 माह तक परिजन शव को घर पर रखे रहें। माता-पिता के इस अंधविश्वास को पूरे ने घर ने अपना विश्वास बना लिया था। इसी के चलते ही वह विमलेश की सेवा में लगे हुए थे। 

विमलेश की पत्नी के द्वारा कहा गया कि उसे पति के मृत होने की जानकारी थी। हालांकि सास और ससुर के प्यार और लाचारगी के चलते वह उनकी बात मानती रही। विमलेश की पत्नी कहती हैं कि सभी कह रहे थे वह (विमलेश) जिंदा हैं तो मैने भी मान लिया। जिस दौरान एडीसीपी वेस्ट लखन सिंह यादव घर पहुंचे तो सभी परिजन वहां मौजूद थे। अधिकारियों ने इस दौरान उस तखत को भी देखा जिस पर 17 माह से विमलेश का शव रखा गया था और उन ऑक्सीजन सिलेंडर को भी देखा जो घर पर मौजूद थे। 

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अधिकारी ने मां रामदुलारी और पिता रामऔतार से पूछे ये सवाल 
सवाल- आप ने 17 माह तक बेटे को किस तरह से रखा हुआ था?
जवाब- हम लोग रोज पानी और गंगाजल से बेटे के शरीर को साफ करते थे और फिर उसके कपड़े बदलते थे। 
सवाल- क्या विमलेश के द्वारा कभी कोई प्रतिक्रिया दी गई?
जवाब- विमलेश ने कभी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी और कोई हरकत नहीं होती थी। 
सवाल- आप लोगों ने क्या किसी डॉक्टर को भी दिखाया?
जवाब- कोशिश काफी की गई लेकिन किसी भी डॉक्टर ने उसे नहीं देखा। 
सवाल- अब आपको यकीन है कि आपका बेटा इस दुनिया में नहीं है?
जवाब- जिस समय टीम उसे ले जा रही थी उस दौरान भी उसकी धड़कन चल रही थी। हमें कुछ समझ नहीं आया। 

भाई दिनेश से भी किया गया सवाल जवाब 
सवाल- विमलेश का डेथ सार्टिफिकेट कब प्राप्त हुआ?
जवाब- 21 अप्रैल 2021 को भाई का मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ। इसके बाद 22 की सुबह शव को गाड़ी से ले जाने के लिए कहा गया। 
सवाल- आपको कैसे पता लगा कि वह जिंदा है?
जवाब- घर पर कुछ रिश्तेदारों ने सिर रखकर देखा तो कहा कि धड़कन चल रही है। इसके बाद ऑक्सीमीटर और ईसीजी में भी जिंदा होने का सबूत मिला था। 
सवाल- इलाज पर कुल कितना खर्च किया गया?
जबाव- 19 अप्रैल 2021 को एडमिट कराए जाने के बाद 21 अप्रैल तक 9 लाख से ज्यादा रुपए खर्च हुए। उसके अलावा घर पर इंतजाम आदि में खर्च हुआ। 
सवाल- विमलेश की बॉडी को प्रिजर्व रखने के लिए किसी कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता था?
जवाब- कोई कैमिकल नहीं लगाया गया अगर ऐसा होता तो पोस्टमार्टम में पूरी सच्चाई सामने आ जाती। 

पत्नी मिताली ने कहा- मुझे पता था हो चुकी है मौत 
सवाल - क्या आपको पता था कि विमलेश की मौत हो चुकी है?
जवाब- मालूम था लेकिन सब कह रहे थे तो मैंने भी मान लिया कि वह जिंदा है। 
सवाल- विमलेश की मौत के बाद आप कितने महीने तक बैंक नहीं गई?
जवाब- मैं मैटरनिटी लीव पर थी और छुट्टियां पूरी होते ही मैंने ऑफिस ज्वाइन किया। 
सवाल- विमलेश के अहमदाबाद ऑफिस से किसने मृत्यु को लेकर पत्राचार किया था?
जबाव- वह पत्र मैंने ही भेजा था और मृत्यु होने की सूचना दी थी। उसके बाद परिजनों ने कहा कि मैंने फिर एक पत्र भेज तबियत खराब होने की जानकारी दी। 
सवाल- आपने परिजनों को समझाने का प्रयास नहीं किया कि विमलेश अब जीवित नहीं है?
जवाब- मैं जितना भी बोल सकती थी उतना बोला। मैं इस घर की बहू हूं। ज्यादा नहीं बोल सकती थी। वैसे भी सभी के कहने पर मुझे भी विश्वास हो गया कि उनकी सांसे चल रही हैं।

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