9 मुस्लिमों ने पत्र लिख कहा- क्या कब्रिस्तान पर बनेगा राम मंदिर? पुजारी बोले- शंख से सब शुद्ध हो जाएगा

मुसलमानों की कब्रों के उपर भगवान श्रीराम का मंदिर बनाए जाने के दावे को अयोध्या प्रशासन ने खारिज कर दिया है। दरअसल, मुस्लिम पक्ष के वकील रहे एमआर शमशाद ने 9 मुस्लिमों के हवाले एक पत्र में यह दावा किया था कि राम मंदिर निर्माण के लिए जो 67 एकड़ जमीन दी गई है, उसमें 1480 वर्ग मीटर के क्षेत्र में पहले मुसलमानों द्वारा कब्रिस्तान का उपयोग किया जाता था।

Asianet News Hindi | Published : Feb 19, 2020 9:06 AM IST / Updated: Feb 19 2020, 02:39 PM IST

अयोध्या (Uttar Pradesh). मुसलमानों की कब्रों के उपर भगवान श्रीराम का मंदिर बनाए जाने के दावे को अयोध्या प्रशासन ने खारिज कर दिया है। दरअसल, मुस्लिम पक्ष के वकील रहे एमआर शमशाद ने 9 मुस्लिमों के हवाले एक पत्र में यह दावा किया था कि राम मंदिर निर्माण के लिए जो 67 एकड़ जमीन दी गई है, उसमें 1480 वर्ग मीटर के क्षेत्र में पहले मुसलमानों द्वारा कब्रिस्तान का उपयोग किया जाता था। उस जमीन पर राम मंदिर का निर्माण न किया जाए। वहीं, रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने कहा, 67 एकड़ भूमि पर कोई कब्र नहीं है, वहां ऋषियों की समाधि जरूर थी। कब्र के नाम पर गुमराह करने की कोशिश हो रही है। जहां शंख की ध्वनि गूंजती हो और पूजा की जा रही हो, वहां शमशान और कब्रिस्तान सब शुद्ध हो जाता है।

क्या है पूरा मामला
शमशाद ने 15 फरवरी को मंदिर निर्माण के लिए गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को एक पत्र भेजा था। जिसमें लिखा था, आज भले ही वहां कब्रें न दिख रही हों, लेकिन वहां 4-5 एकड़ जमीन पर मुसलमानों की कब्रें हैं। ऐसे में वहां राम मंदिर की नींव कैसे रखी जा सकती है? केंद्र सरकार ने भी इस पर विचार नहीं किया। मुसलमानों के कब्रिस्तान पर राम मंदिर नहीं बन सकता। यह धर्म के खिलाफ है।

डीएम ने दिया पत्र का जवाब 
अयोध्या के डीएम अनुज झा ने कहा, राम जन्मभूमि क्षेत्र के 67 एकड़ के परिसर में वर्तमान में कोई कब्रिस्तान नहीं है। अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को सभी सबूतों से अवगत कराया गया था, जिसमें पत्र की सामग्री (वकील एमआर शमशाद द्वारा लिखित) भी शामिल है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया और पूरी 67 एकड़ जमीन और 2.77 एकड़ जमीन (फैसले से पहले विवादित) राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र को सौंपी है।

बाबरी मस्जिद के पक्षकार ने कही ये बात
मामले पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देश के सभी हिंदू-मुस्लिमों ने सम्मान दिया। अब इस तरह के पत्र लिखना सांप्रदायिक तौर पर नया विवाद खड़ा करना है।

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