सपा नेता आजम खान के बाद अब बीजेपी विधायक विक्रम सिंह सैनी की विधायकी की सदस्यता रद्द हो गई है। साल 2013 में हिंसा के बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसके बाद कोर्ट ने दो साल की सजा के साथ-साथ दस हजार रुपए का आर्थिक दंड भी दिया था।
मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश में एक और विधायक की सदस्यता रद्द हो गई है। कुछ दिनों पहले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व रामपुर से विधायक आजम खान की सदस्यता रद्द हुई थी। इसके बाद अब बीजेपी विधायक विक्रम सिंह सैनी की भी सदस्यता रद्द हो गई है। कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाने के साथ-साथ दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। दरअसल आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र भेजा था। जिसमें राज्यसभा सांसद ने सतीश महाना से बीजेपी विधायक को सजा होने के बाद उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग रखी थी। उनके द्वारा इस मांग के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने यह फैसला लिया है।
साल 2013 में दो समुदाय के लोगों के बीच हुई थी भिंड़त
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का कहना है कि सदस्यता तो दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर खुद समाप्त हो जाती है। बीजेपी विधायक विक्रम सैनी सिंह के मामले को परीक्षण के लिए न्याय विभाग को भेजा गया है। इसके साथ ही विभाग से स्पष्ट राय मांगी है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि दो साल की सजा पर लागू होगा या दो साल से अधिक की सजा पर ही लागू होगा। भाजपा विधायक विक्रम सैनी को दो साल की सजा हुई है। इस मामले में न्याय विभाग की रिपोर्ट आने के बाद ही सीट रिक्त घोषित करने पर भी फैसला किया जाएगा। 29 अगस्त 2013 को कवाल कांड के बाद गांव में दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे। उसके बाद हिंसा और आगजनी की घटना के बाद पुलिस ने तब पूर्व प्रधान के पति विक्रम सैनी समेत 28 लोगों के खिलाफ सिखेड़ा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के साथ दायर की अपील
एमपी-एमएलए कोर्ट ने बीजेपी के मुजफ्फरनगर के खतौली विधायक विक्रम सैनी को सुनाई थी। शहर में दंगे के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट से हुई दो साल की सजा के बाद खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसके साथ ही निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील भी दायर की है। दरअसल शहर में कवाल कांड के बाद हुए झगड़े के मामले में विधायक विक्रम सैनी समेत 12 आरोपियों को अदालत ने 11 अक्टूबर को दो-दो साल की जेल और दस-दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई थी। विधायक के अलावा सभी आरोपियों की जमानत पर अर्जी भी स्वीकृत हो गई थी।