खतौली सीट पर RLD प्रदेश प्रवक्ता ने प्रत्याशी को लेकर किया विरोध, उपचुनाव से पहले ही पार्टी की बढ़ीं मुश्किलें

यूपी में होने वाले उपचुनाव से ठीक पहले सपा गठबंधन की मुश्किलें अब बढ़ती हुई नजर आ रही है। दरअसल मुजफ्फरनगर की खतौली सीट पर रालोद प्रत्याशी के खिलाफ पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता बागी हो गए है। इसके लिए वह उम्मीदवारी को बदलने की मांग कर रहे है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 15, 2022 12:52 PM IST / Updated: Nov 15 2022, 07:00 PM IST

मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव से ठीक पहले सपा-रालोद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल शहर की खतौली सीट पर रालोद प्रत्याशी के खिलाफ पार्टी के नेताओं ने ही विरोध का बिगुल फूंक दिया है। रालोद के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक चौधरी ने मदन भैया को टिकट देने का विरोध कर दिया है। इसके लिए उन्होंने पार्टी का प्रत्याशी बदलने के लिए शाम आठ बजे तक का अल्टीमेटम भी दिया है। पार्टी के राज्य प्रवक्ता का कहना है कि स्थानीय प्रत्याशी को चुनाव लड़ना चाहिए।

बाहरी व्यक्ति 15 दिन में क्या करेगा यहां- RLD प्रदेश प्रवक्ता
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक चौधरी का कहना है कि उपचुनाव में उसको प्रत्याशी बनाया जाए जिसने कार्यकर्ता के रूप में काम किया हो और पूरी मेहनत कर रहा हो। उन्होंने आगे बताया कि पार्टी के नेतृत्व को कह दिया गया है कि किसी भी लोकल को प्रत्याशी घोषित किया जाए। आगे कहते है कि वह रालोद के कार्यकर्ता के रूप में इस वक्त बात कर रहे हैं। मीडियाकर्मियों के एक सवाल पर जवाब दिया है कि मेरी किसी और पार्टी  से बात नहीं चल रही है। यहां से रालोद ही मजबूती से चुनाव लड़ेगा। 15 दिन बाद ही यहां पर चुनाव है और बाहरी व्यक्ति 15 दिन में यहां क्या करेगा।

प्रत्याशी नहीं बदलने पर कार्यकर्ता तैयार करेंगे आगे रणनीति
आरएलडी के घोषित प्रत्याशी मदन भैया को लेकर प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक का कहना यह भी है कि बाहुबालियों का हमारी पार्टी हमेशा विरोध करती आई है। उनके साथ बंदूकधारी चलते हैं और उनसे पार्टी के कार्यकर्ता कैसे मिलेंगे। उसके बाद पत्रकारों ने प्रत्याशी नहीं बदलने के बाद की रणनीति के सवाल पर अभिषेक का जवाब है कि कि आठ बजे तक इंतजार करेंगे। उसके बाद पार्टी के कार्यकर्ता आगे की रणनीति तय करेंगे। बता दें कि आरएलडी ने ट्वीट कर गठबंधन प्रत्याशी के रूप में मदन भैया के नाम का ऐलान किया था। अयोग्य ठहराए गए बीजेपी विधायक विक्रम सैनी पर मुजफ्फरनगर दंगे में शामिल होने के आरोप सिद्ध होने के बाद दो साल की सजा सुनाई गई थी।

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