सार
कोविड प्रबंधन की तर्ज पर अब डेंगू की रोकथाम के लिए राज्य के हर जिले में डेंगू डेडिकेटेड अस्पताल बनाए जा रहे है। इसके साथ ही हर अस्पताल के लिए डॉक्टर और स्टाफ की व्यवस्था के साथ एक नोडल अधिकारी भी तैनात किया जा रहा है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोविड प्रबंधन की तर्ज पर अब डेंगू की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। दरअसल कोरोना काल में जिन अस्पतालों को कोविड हॉस्पिटल बनाया गया था, वहीं अब डेंगू के लिए डेडीकेटेड अस्पताल होंगे। हर अस्पताल के लिए डॉक्टर और स्टाफ की व्यवस्था के साथ एक नोडल अफसर भी तैनात किया जाएगा। इसको लेकर सभी जिलों में तैयारियां की जा रही है। डेंगू के दुष्प्रभाव में बढ़ोतरी की वजह से बेहतर स्क्रीनिंग के लिए सर्विलांस को बेहतर किया जा रहा है। आशा बहनों का सहयोग लेने के साथ-साथ घर-घर स्क्रीनिंग कराई जा रही है। लक्षणयुक्त मरीजों की पहचान करने के बाद उनके समुचित इलाज की व्यवस्था भी कराई जा रही है।
शहर में इस तरह से तैयार किए जा रहे डेडिकेटेड अस्पताल
कोरोना काल में जिन अस्पतालों को कोविड हॉस्पीटल बनाया गया था, वे अब डेंगू के लिए डेडीकेटेड अस्पताल हैं। हर अस्पताल के लिए डॉक्टर और स्टाफ की व्यवस्था के साथ एक नोडल अफसर भी तैनात किया गया है। अस्पतालों को डेंगू चिकित्सालय नामित करते हुए उन वार्डों और बेड का प्रयोग डेंगू रोगियों के लिए किया जाए। वहां पर पर्याप्त मात्रा में दवाएं, ओआरएस तथा आईवी फ्लूड उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा कोविड प्रबंधन की तर्ज पर अब डेंगू की रोकथाम के लिए तय रोस्टर के अनुसार तीन शिफ्ट में स्टाफ की ड्यूटी लगाई जा रही है। इन सबके अलावा अस्पतालों में फिजीशियन व बाल रोग चिकित्सकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। राज्य की राजधानी लखनऊ में लोकबंधु अस्पताल को डेंगू डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया है। उसी प्रकार कानपुर में कांशीराम संयुक्त अस्पताल को, वाराणसी में दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल को डेंगू डेडिकेटेड अस्पताल हैं। इसके अलावा बरेली, रायबरेली समेत कई जिलों में जिला अस्पताल में ही बेड की संख्या अनुसार डेंगू डेडिकेटेड अस्पताल तैयार हो रहा है तो कहीं तैयार हो चुका है।
लोगों को जागरूकता के लिए चलाए जाए विभिन्न कार्यक्रम
डेंगू की व्यवस्था को देखने के लिए सभी मंत्रियों को फील्ड में एक्टिव रहने के निर्देश गए थे। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों सहित जिला अस्पताल, पीएचसी, सीएचसी व अन्य उच्च स्तरीय संस्थान साधन डेंगू के लिए संपन्न हैं और इसका लाभ जनता को मिल रहा है। इतना ही नहीं डेंगू की जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग, नगर विकास, पंचायती राज और सूचना विभाग व्यापक कार्यक्रम चलाएं। जिसमें डेंगू के कारण, लक्षण, बचाव के बारे में लोगों को सही जानकारी दी जाए। इतना ही नहीं अखबारों के माध्यम से भी जागरूकता परक विज्ञापन, दीवार पेंटिंग, पब्लिक एड्रेस सिस्टम आदि के माध्यम से इस बीमारी के कारण प्रभाव और उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाए। डेंगू अस्पतालों को पास के टर्शियरी केयर चिकित्सालय से टेलिमेडिसन के माध्यम से अनिवार्य रूप से लिंकेज किया जाए ताकि जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञों की परामर्श सुविधा उपलब्ध हो सके।
ब्लड बैंक और जांच लैब से डेडिकेटेड अस्पताल को जाएगा जोड़ा
डेंगू डेडिकेटेड अस्पतालों को जिला स्तरीय ब्लड बैंक और जांच लैब से जोड़ा जाएगा ताकि भर्ती मरीजों की डेंगू की जांच आसानी से हो सके। मरीज को जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। लोगों की सुविधा के लिए ब्लड बैंक और लैब के नंबर भी अस्पताल में प्रमुखता से डिस्प्ले किए जाएं। डेंगू मरीजों को अस्पताल पहुंचने में कोई कठिनाई न हो इसके लिए 108 एंबुलेंस सेवा का प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए समन्वय बिठाने को कहा गया है। लोगों की सुविधा के लिए जिले में क्रियाशील कंट्रोल रूम का नंबर भी प्रचारित किया जाए। इसमें सरकारी चिकित्सालयों में उपलब्ध डेंगू रोगियों के लिए आरक्षित बैड की उपलब्धता का चार्ट भी रहेगा। इस चार्ट को प्रतिदिन दो बार अपडेट किया जाएगा। इससे संबंधित पूरा काम 17 नवंबर तक हर हाल में पूरा करने और प्रतिदिन रिपोर्ट मुख्यालय को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
शिक्षा विभाग ने स्कूलों व अभिभावकों को लेकर दिए है खास निर्देश
डेंगू के मामले बढ़ते को देखते हुए उत्तर प्रदेश शिक्षा निदेशालय की ओर से राज्य के सभी विद्यालयों के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए है। जिसमें छात्र-छात्राओं के साथ अभिभावकों को स्कूल के जरिए जागरूक करने के लिए कहा गया है। डेंगू के बढ़ते प्रकोप के चलते सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों व जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देशित किया गया है कि बारहवीं तक के माध्यमिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं को पूरी बाह की शर्ट व फुल पैंट पहनकर स्कूल आने के लिये कहा गया है। इसके साथ ही प्रार्थना के दौरान बच्चों को संचारी रोग व उससे होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी देने के लिये स्कूल प्रशासन को निर्देशित किया गया है। इतना ही नहीं गांव में जन जागरूकता रैलियां भी निकालने के लिये कहा गया है।
स्कूलों में साफ-सफाई कराने के साथ-साथ एंटी लार्वा का किया जा रहा छिड़काव
इन सबके अलावा स्कूल परिसर में खुली हुई पानी की टंकियों की नियमित साफ-सफाई होने के साथ-साथ स्कूल व उसके आस-पड़ोस में कही जल भराव ना होने को लेकर भी कहा गया है। स्कूल के हैंडपंप व नलों की रोजाना साफ-सफाई करने के साथ ही एंटी लार्वा का छिड़काव किया जा रहा है। स्कूल परिसर को साफ-सुथरा व आसपास की झाड़ियों को काटने को लेकर आदेश मिला है किसी भी बच्चे को बुखार आने पर उसका तत्काल उपचार कराया जाए। इसके लिए तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सहयोग प्राप्त किया जाए। इन सभी कार्यों में स्थानीय जनसमुदाय का भी सहयोग प्राप्त किया जाए।