Inside Story: BHU में किया जाएगा न्यूट्रॉन परीक्षण, 50 साल पहले बना 'बम हाउस' फिर होगा एक्टिव

काशी विश्व विद्यालय में न्यूट्रॉन का परिक्षण का काम होगा। रिसर्च ऐंड फिजिक्स डिपार्टमेंट के वैज्ञानिक प्रोफेसर अजय कुमार त्यागी ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई की मदद से न्यूट्रॉन जनरेटर स्थापित किया है।

Pankaj Kumar | Published : Apr 12, 2022 10:10 AM IST / Updated: Apr 12 2022, 04:11 PM IST

अनुज तिवारी
वाराणसी:
सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में न्यूट्रॉन परीक्षण का काम होगा। यह रिसर्च ऐंड फिजिक्स डिपार्टमेंट के वैज्ञानिक प्रोफेसर अजय कुमार त्यागी ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई की मदद से न्यूट्रॉन जनरेटर स्थापित किया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि न्यूटन परमाणु के अंदर उदासीन कार्ड है। जिसकी खोज चैडविक ने की थी या न्यूट्रल हर जगह व्याप्त है मगर स्पेस में इसका रेडियस काफी खतरनाक होता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि जब हम स्पेसक्राफ्ट, सेटेलाइट भेजने के साथ अंतरिक्ष यात्रा पर जाते हैं, तो वहां पर न्यूट्रॉन रेडिएशन की वजह से वस्तुओं के रंग और साइज में बदलाव हो जाता है।

रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों ने बताया कि आसमान में होने वाले इस प्रतिक्रिया की टेस्टिंग अब बीएचयू में की जा सकती है। 50 साल पहले बीएचयू में निर्मित हुआ बम हाउस व गुंबदनुमा भवन फिर से एक्टिव हो गया है। 1998 से यह बम हाउस बंद पड़ा था। इसी भवन में मशीन इंस्टॉल की गई है।

मोटी दीवार को भी भेद सकता है जनरेटर से निकलने वाला न्यूट्रॉन
वैज्ञानिकों ने बताया कि स्थापित जनरेटर की निकलने वाले न्यूट्रॉन की रेडियस की फ्रीक्वेंसी इतनी तेज होती हैं कि वह एक मीटर मोटी कंक्रीट की दीवार को भी भेद दे सकती हैं। मशीन से उत्सर्जित होने वाली किरणें परमाणु हथियारों के विस्फोट से निकलने वाली रेडिएशन से भी ज्यादा घातक होती हैं। अगर उसके संपर्क में आया तो तत्काल कुछ भी हो सकता है। इसलिए इस मशीन की पूरी कंट्रोलिंग बाहर से है।

अजय कुमार त्यागी ने और जानकारी देते हुए बताया कि 2.45 MEV प्रोडक्टशन कैपेसिटी से युक्त यह BARC मुंबई द्वारा वह 2009 से ही इस मशीन को BHU में स्थापित कराने के लिए काम कर रहे थे। प्रो. त्यागी ने बताया कि अभी तक उत्तर भारत के रिसर्चरों को बार्क या फिर देश से बाहर सैंपलों की जांच के लिए भेजा जाता था। मगर, अब हम लोग मेंटिनेंस कॉस्ट पर सैंपल्स की जांच कर सकते है। उत्तर भारत में पाए जाने वाले काम के और दुर्लभ मिनरल्स और धातुओं की खोज हो सकेगी। यानी कोई भी रिसर्चर अपना सैंपल यहां पर टेस्ट करा सकता है, जिसका रिजल्ट उसे तत्काल मिल जाएगा। सोनभद्र की रॉक्स में यूरेनियम, थोरियम आदि हैं या नहीं यह भी पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही किसी भी मटीरियल में कौन-कौन से एलिमेंट हैं, इसका भी पता लगाया जा सकता है।

प्रोफेसर अजय कुमार त्यागी ने बताया कि न्यूट्रल रेडिएशन का उपयोग खाद्य परीक्षण और मिट्टी की नमी की जांच के लिए किया जा सकता है। इसको लेकर कृषि विज्ञान संस्था और फूड टेक्नोलॉजी विभाग से संपर्क भी किया जाएगा। इस जेनरेटर का उपयोग फूड प्रोसेसिंग और खेती किसानी के लिए भी किया जाएगा। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इससे जांच करने में सेकंड में ही रिजल्ट प्राप्त हो जाएगा।

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