ज्ञानवापी मामले में अब 23 मई को होगी अगली सुनवाई, SC के आदेश के बाद वाराणसी कोर्ट ने लिया फैसला

ज्ञानवापी मामले में कोर्ट ने अब अगली सुनवाई सोमवार यानी 23 मई को दी है। जिला न्यायालय ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लिया है। वाराणसी कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट दाखिल होने में शिवलिंग की जगह पर दर्शन पूजा समेत अन्य मुद्दों को लेकर 23 को सुनावाई होगी। 

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में गुरुवार को होनी वाली सुनवाई लगातार दूसरे दिन टल गई। इस सुनावाई में शिवलिंग की जगह दर्शन पूजन समेत अन्य मामलों पर सुनवाई होनी थी। अब इस मामले की सुनवाई 23 मई को होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रति मिलने के बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने ये फैसला लिया है। सर्वेक्षण की रिपोर्ट पूरी तैयार न होने की वजह से 17 मई से दूसरी तारीख ली गई थी। लेकिन अब एक बार फिर कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। 19 मई यानी गुरुवार को शासन की ओर से डीजीसी सिविल ने अदालत में अर्जी दी तो वहीं प्रतिवादी पक्ष ने ज्ञानवापी से जुड़े तमाम मामलों में आपत्ति दाखिल कर दी है। इतना ही नहीं प्रतिवादी पक्ष ने शिवलिंग मिलने के दावे पर कड़ी आपत्ति जताई है। तो वहीं दूसरी ओर वादी पक्ष और उनके अधिवक्ताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके अलावा दोनों पक्षकारों को कमीशन की कार्यवाही की रिपोर्ट दी गई है।

कोर्ट में नक्शानजरी का विवरण किया दाखिल
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हुए सर्वे की पहली रिपोर्ट बुधवार को तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र ने सौंपी थी। उसके बाद गुरुवार को विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह ने भी अपनी सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया। सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने से पहले दोनों पक्ष के लोग कोर्ट में मौजूद रहे। सर्वेक्षण की रिपोर्ट करीब 15 पेज की है। इसके साथ ही नक्शानजरी और कार्यवाही का विवरण भी दाखिल किया गया।

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डीजीसी अर्जी में देकर की ये मांग
डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने न्यायालय में अर्जी देकर कहा कि ज्ञानवापी परिसर स्थित तीन फीट गहरे तालाब को कोर्ट के आदेश के बाद सील किया गया है। उन्होंने बताया कि उसके चारों तरफ नल और पाइपलाइन है। उस नल का उपयोग लोग नमाज पढ़ने से पहले वजू के लिए करते हैं। मानव निर्मित तालाब में  कुछ मछलियां भी हैं। उन मछलियों को अब कहीं और पानी में छोड़ा जाए। साथ ही कहा गया कि तालाब परिसर को सील होने के कारण नमाजियों के वजू के लिए बाहर व्यवस्था की जाए। जगह को सील होने के बाद नमाजियों को वहां नहीं जाने दिया जा रहा है। जिसकी वजह से उन सभी को व्यवस्था दी जाए। 

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