सोशल मीडिया में वायरल वीडियो पर बीकेटीसी का कहना है कि श्रद्धालुओं से कोई शुल्क नहीं लिया जाता। बल्कि जो अपने श्रद्धाभाव से ईश्वर को चढ़ाते है वहीं शुल्क होता है। उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान कई चीजों पर प्रतिबंध था।
देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना काल के लंबे समय के बाद चारधाम यात्रा के लिए निकले श्रद्धालु भक्तिपूर्वक प्रभु के दर्शन कर रहे है। लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पुराने वीडियो पर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने इसपर स्पष्ट कहा है कि केदारनाथ धाम में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। दरअसल पूजा व्यवस्थाओं को लेकर सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो पर उन्होंने स्थित साफ की है।
कोविड के दौरान इस पर था प्रतिबंध
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं और स्वेच्छा से चढ़ावा राशि दानपात्र में डालते हैं। आगे कहते है कि पिछले दो साल में कोविड महामारी के कारण सरकार की ओर से पूजा व दर्शन के लिए कुछ एसओपी जारी की गई थी। जिससे मंदिरों में जलाभिषेक, पूजा करना, टीका लगाना, प्रसाद चढ़ाना के साथ मूर्तियों और घंटियों को छूने पर पूर्ण प्रतिबंधित था। धामों में ही श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति दी थी।
श्रद्धालुओं द्वारा राशि से होते ये कार्य
अध्यक्ष अजेंद्र अजय आगे कहते है कि श्रद्धालुओं को महाभिषेक, रुद्राभिषेक, प्रात: कालीन पूजा, सायंकालीन आरती करवाने का विधान है। यह परंपरा काफी पहले से चली आ रही है। इस पूजा के लिए निश्चित समयावधि और संख्या मंदिर समिति की ओर निर्धारित की जाती है। जो सामान्य रूप से रात्रि के 12 बजे से तीन बजे के बीज होती है। पूजा के लिए श्रद्धालुओं द्वारा दी गई सहयोग राशि से भगवान का नित्य भोग, पूजा, प्रसाद, पूजार्थ द्रव्य, चिकित्सा व्यवस्था, भंडारा, यात्री विश्राम गृह निर्माण, रखरखाव, विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन इत्यादि की व्यवस्था एवं मंदिर समिति के अधिकारी, कर्मचारी, पुजारी, सेवाकारों को वेतन उपलब्ध कराया जाता है।
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